Digital Crypto Scam: डिजिटल अरेस्ट क्रिप्टो स्कैम: कैसे ब्लॉकचेन एनालिटिक्स और पुलिस ने खोली करोड़ों की ठगी की परतें
रिपोर्ट: हेमंत कुमार
भारत में साइबर अपराध की दुनिया में एक नया, बेहद खतरनाक ट्रेंड सामने आया है—“डिजिटल अरेस्ट” क्रिप्टो स्कैम। इस स्कैम में ठग खुद को कानून प्रवर्तन एजेंसी जैसे CBI, पुलिस या इंटरपोल के अधिकारी बताकर भोले-भाले लोगों को मानसिक दबाव में डालते हैं। वे झूठे आरोपों जैसे मनी लॉन्ड्रिंग, विदेशी फंडिंग या साइबर फ्रॉड का हवाला देते हुए पीड़ितों को यह विश्वास दिलाते हैं कि वे गंभीर अपराध में फंस चुके हैं और जल्द ही गिरफ्तार कर लिए जाएंगे। इसी डर के चलते लोग बिना कुछ सोचे-समझे लाखों रुपये ठगों को ट्रांसफर कर देते हैं—वो भी क्रिप्टोकरेंसी के रूप में।
इस स्कैम की खास बात यह है कि इसमें वीडियो कॉल्स के ज़रिये ठग खुद को फर्जी अधिकारियों के रूप में पेश करते हैं। कॉल में दिखाए जाने वाले बैकड्रॉप्स, नकली आईडी कार्ड, और सरकारी दस्तावेज इतने असली लगते हैं कि कोई भी भ्रमित हो जाए। कॉल के दौरान पीड़ित को धमकाया जाता है, उसका फोन कब्जे में ले लिया जाता है, और कई बार उसे घंटों तक मनोवैज्ञानिक दबाव में रखा जाता है। इसे ही “डिजिटल अरेस्ट” कहा गया है—जहां शारीरिक नहीं बल्कि मानसिक गिरफ्तारी होती है।
हाल ही में अहमदाबाद पुलिस ने इस स्कैम से जुड़ी कई घटनाओं का भंडाफोड़ किया। एक 90 वर्षीय बुजुर्ग से ₹1.25 करोड़ ($149,700) ठग लिए गए। वहीं एक युवा नौकरी की तलाश में नेपाल ले जाया गया और उससे जबरन ₹49 लाख ($58,680) के मनी लॉन्ड्रिंग ट्रांजैक्शन करवाए गए।
इस केस की सबसे दिलचस्प बात यह है कि जांचकर्ताओं ने इस पूरे रैकेट को ब्लॉकचेन एनालिटिक्स की मदद से उजागर किया। क्रिप्टोकरेंसी का हर ट्रांजैक्शन पब्लिक ब्लॉकचेन पर रिकॉर्ड होता है—यानी छुपा नहीं जा सकता। इसी पारदर्शिता ने जांच में बड़ी भूमिका निभाई।
तीन मुख्य पहलुओं ने इस स्कैम की पोल खोली:
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ट्रांसपेरेंट ब्लॉकचेन रिकॉर्ड्स: हर क्रिप्टो लेन-देन का डिजिटल रिकॉर्ड स्थायी होता है, जिससे जांचकर्ता वॉलेट्स को ट्रेस कर सके।
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Binance की FIU यूनिट की भूमिका: Binance की फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट ने संदिग्ध वॉलेट्स की गतिविधियों को ट्रैक किया और असली पहचान से जोड़ने में अहम मदद की।
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क्रॉस-बॉर्डर ट्रेसिंग: यह स्कैम सिर्फ भारत तक सीमित नहीं था। इसके तार दक्षिण और दक्षिण-पूर्वी एशिया तक फैले हुए थे, लेकिन ब्लॉकचेन की वैश्विक पहुंच ने जांच को सीमाओं के पार भी संभव बनाया।
अहमदाबाद पुलिस की त्वरित कार्रवाई से यह साबित हो गया कि अगर तकनीकी प्लेटफ़ॉर्म सहयोग करें और जांच एजेंसियां सतर्क हों, तो साइबर अपराधी कहीं भी छुप नहीं सकते। इस केस में दर्जनों आरोपियों की पहचान हुई, कई वॉलेट्स फ्रीज़ किए गए, और करोड़ों की अवैध रकम को ट्रेस कर जब्त किया गया।
यह घटना हम सभी के लिए चेतावनी है। एक ओर ब्लॉकचेन की पारदर्शिता, जिसे पहले प्राइवेसी का खतरा माना जाता था, अब न्याय का शक्तिशाली उपकरण बन चुकी है। दूसरी ओर, यह केस यह भी दिखाता है कि जब प्लेटफ़ॉर्म्स जैसे Binance जिम्मेदारी से काम करें, तो साइबर क्राइम से निपटना संभव है।
साइबर सुरक्षा का सबसे पहला कदम आपकी जागरूकता है। किसी भी अजनबी कॉल या वीडियो कॉल पर कानूनी कार्रवाई की धमकी मिलती है, तो घबराएं नहीं—तुरंत पुलिस या साइबर सेल से संपर्क करें। अपनी क्रिप्टो जानकारी, वॉलेट ऐक्सेस या ओटीपी किसी के साथ साझा न करें।
ऑनलाइन सुरक्षित रहें—आपकी सतर्कता आपकी सबसे बड़ी ढाल है।


