Cyber Security India: साइबर सुरक्षा में भारत की नई ताकत: संदिग्ध रजिस्ट्री ने रोकी ₹5,111 करोड़ से अधिक की धोखाधड़ी
रिपोर्ट, हेमंत कुमार।
भारत ने साइबर अपराध से लड़ाई में एक बड़ा कदम उठाया है। सितंबर 2024 में गृह मंत्रालय द्वारा लॉन्च की गई संदिग्ध रजिस्ट्री अब देश की वित्तीय और डिजिटल सुरक्षा के सबसे महत्वपूर्ण उपकरणों में से एक बन चुकी है। इसे भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) द्वारा विकसित किया गया है और इसका आधार राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) से प्राप्त डेटा है।
इस रजिस्ट्री में 14 लाख से अधिक संदिग्ध साइबर अपराधियों की पहचान शामिल है, जिनमें अधिकांश वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़े हैं। यह रजिस्ट्री राज्य सरकारों, केंद्र शासित प्रदेशों, केंद्रीय जांच एजेंसियों और 61+ बैंक और वित्तीय संस्थानों के लिए उपलब्ध है।
संदिग्ध रजिस्ट्री रीयल-टाइम निगरानी के जरिए काम करती है। बैंक इसका उपयोग ग्राहक की पहचान सत्यापित करने और संदिग्ध खातों में लेन-देन पर नजर रखने के लिए करते हैं। संदिग्ध पहचान डेटा बैंक और I4C के बीच साझा किया जाता है ताकि धोखेबाजों को सिस्टम में प्रवेश करने से रोका जा सके। धोखाधड़ी से जुड़े खातों को तुरंत फ्रीज़ किया जाता है, अक्सर पैसे निकालने से पहले ही।
इस रजिस्ट्री में निजी और राष्ट्रीयकृत बैंक, वॉलेट्स और भुगतान प्लेटफ़ॉर्म जैसे SBI, Axis Bank, Airtel Payments Bank आदि शामिल हैं। अगस्त 2025 तक, 13 लाख से अधिक धोखाधड़ी वाले लेनदेन रोके जा चुके हैं और ₹5,111.80 करोड़ बचाए जा चुके हैं। इसके अलावा, 13.06 लाख संदिग्ध पहचान साझा की गई, 3.54 लाख खाते फ्रीज़ किए गए, 7 लाख सिम ब्लॉक किए गए और 1.4 लाख डिवाइस चिन्हित किए गए हैं।
साल 2021–2024 के बीच ₹33,000 करोड़ से अधिक साइबर धोखाधड़ी दर्ज की गई थी, जिसमें 80% से अधिक मामले वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़े थे।
संदिग्ध रजिस्ट्री ने साइबर अपराध रोकथाम में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह पूर्व-निरोधक ब्लॉकिंग के माध्यम से संदिग्ध तत्वों को पहले ही चिन्हित कर धोखाधड़ी को होने से रोकता है। यह पुलिस, बैंक और खुफिया एजेंसियों के बीच निर्बाध सहयोग को सक्षम बनाता है। निवेश धोखाधड़ी, डिजिटल गिरफ्तारी और म्यूल खातों जैसी स्कीम से वित्तीय प्रणाली को मजबूत करने में मदद करता है। इसके साथ ही, यह नागरिकों को रिफंड दिलाने और हानिकारक ऐप्स, वेबसाइट्स और मोबाइल नंबरों को ब्लॉक करने में भी मदद करता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि निवेशकों और डिजिटल उपयोगकर्ताओं की जागरूकता ही उनकी सबसे मजबूत सुरक्षा है। सतर्क रहें, जांच-पड़ताल करें और केवल वैध प्लेटफ़ॉर्म और बैंकिंग चैनलों का ही उपयोग करें। आपकी जागरूकता ही आपकी सबसे मजबूत फ़ायरवॉल है।


