Cyber Crime: भारत में बढ़ रहा सेक्सटॉर्शन खतरा, जागरूकता ही सबसे बड़ी सुरक्षा
रिपोर्ट: हेमंत कुमार
भारत में तेजी से बढ़ते साइबर अपराधों में “सेक्सटॉर्शन” एक गंभीर और भावनात्मक रूप से विनाशकारी अपराध के रूप में उभर रहा है। यह अपराध केवल आर्थिक शोषण नहीं, बल्कि मानसिक और सामाजिक उत्पीड़न का भी माध्यम बन गया है। नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) “सेक्सटॉर्शन” के लिए अलग सार्वजनिक आंकड़े जारी नहीं करता, लेकिन विभिन्न रिपोर्टों और विश्वसनीय मीडिया स्रोतों ने इसके मामलों में चिंताजनक बढ़ोतरी की पुष्टि की है।
देश के कई शहरों में, विशेष रूप से लखनऊ जैसे महानगरों में, पिछले कुछ महीनों में सेक्सटॉर्शन की शिकायतों में तेज़ी आई है। लखनऊ साइबर क्राइम सेल ने अब तक 43 ऐसे मामले दर्ज किए हैं जिनमें पीड़ितों को फर्जी वीडियो कॉल के ज़रिए अश्लील वीडियो बनाने और फिर उन्हें सार्वजनिक करने की धमकी देकर ब्लैकमेल किया गया। पहले जहाँ 45 से 60 वर्ष के संपन्न पुरुष इस अपराध का मुख्य निशाना थे, वहीं अब कॉलेज छात्र और युवा प्रोफेशनल भी बड़ी संख्या में शिकार बन रहे हैं।
सेक्सटॉर्शन की कार्यप्रणाली बेहद चालाकी से बनाई जाती है। अपराधी अक्सर सोशल मीडिया पर महिलाओं के नाम से फर्जी प्रोफाइल बनाते हैं और फिर पीड़ितों से वीडियो कॉल के माध्यम से जुड़ते हैं। कुछ मिनटों में ही वे ऐसे दृश्य रिकॉर्ड कर लेते हैं जो बाद में ब्लैकमेलिंग के हथियार के रूप में इस्तेमाल किए जाते हैं। इसके बाद पीड़ितों को पैसे देने की धमकी दी जाती है—“पैसे दो, वरना वीडियो वायरल कर देंगे।” कुछ मामलों में अपराधी खुद को पुलिस अधिकारी बताकर और भी डराने की कोशिश करते हैं ताकि पीड़ित तुरंत पैसा दे दें।
संसद की 254वीं स्थायी समिति की अगस्त 2025 की रिपोर्ट ने यह स्वीकार किया कि भारत में ऑनलाइन यौन शोषण और सेक्सटॉर्शन जैसे अपराधों में खतरनाक वृद्धि हो रही है। रिपोर्ट के अनुसार, किशोरों, युवाओं और संवेदनशील वर्गों को सबसे अधिक निशाना बनाया जा रहा है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और चैट एप्स की गुमनामी अपराधियों के लिए नया हथियार बन चुकी है, जिससे वे आसानी से किसी को भी फंसा सकते हैं।
भारत ही नहीं, यूरोप, अमेरिका और एशियाई देशों में भी सेक्सटॉर्शन एक वैश्विक संकट के रूप में सामने आया है। ग्वेर्नसे जैसे देशों की रिपोर्टें बताती हैं कि 14 से 30 वर्ष की उम्र के युवाओं में ऐसे मामलों की दर सबसे अधिक है। भारत में भी यही प्रवृत्ति देखी जा रही है—युवाओं की ऑनलाइन उपस्थिति, वीडियो कॉलिंग और सोशल मीडिया पर निजी जानकारी साझा करने की प्रवृत्ति उन्हें असुरक्षित बना रही है। डर, शर्म और सामाजिक बदनामी के भय से कई पीड़ित शिकायत दर्ज नहीं कराते, जिससे अपराधियों का हौसला और बढ़ जाता है।
सेक्सटॉर्शन से बचाव का सबसे प्रभावी उपाय है—जागरूकता। किसी भी अनजान व्यक्ति से निजी चैट या वीडियो कॉल न करें। सोशल मीडिया पर अपनी निजी तस्वीरें या वीडियो साझा करने से बचें। यदि कोई ब्लैकमेल करने की कोशिश करे तो तुरंत cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें। सबसे महत्वपूर्ण—ब्लैकमेलरों को पैसे न दें और न ही डरें। जितनी जल्दी आप रिपोर्ट करेंगे, उतनी जल्दी अपराधी पकड़े जाएंगे।
माता-पिता और शिक्षकों के लिए भी यह समय है कि वे किशोरों और युवाओं से खुलकर बात करें—उन्हें समझाएं कि ऑनलाइन दुनिया में हर चमकती प्रोफाइल भरोसेमंद नहीं होती। समाज को यह समझने की जरूरत है कि सेक्सटॉर्शन पीड़ित की गलती नहीं, बल्कि अपराधी की साजिश है। इसलिए शर्म या भय के बजाय कानूनी कार्रवाई को प्राथमिकता देना ही समझदारी है।
साइबर अपराधी हर दिन अपने तरीकों को और अधिक आधुनिक बना रहे हैं, लेकिन जागरूकता, सतर्कता और समय पर रिपोर्टिंग ही इस भावनात्मक अपराध से बचने का सबसे प्रभावी हथियार है। याद रखें—सतर्क रहें, सुरक्षित रहें, और शिकायत करने से कभी पीछे न हटें।


