Cyber Security India: SBI और BoB ने मिलकर बनाई IDPIC, डिजिटल पेमेंट धोखाधड़ी से निपटने के लिए रियल-टाइम इंटेलिजेंस प्लेटफ़ॉर्म
रिपोर्ट: हेमंत कुमार
भारत के दो प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक — स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) और बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB) — ने देश में बढ़ती डिजिटल पेमेंट धोखाधड़ी से निपटने के लिए मिलकर “इंडियन डिजिटल पेमेंट इंटेलिजेंस कॉर्पोरेशन (IDPIC)” की स्थापना की है। यह एक रियल-टाइम इंटेलिजेंस प्लेटफ़ॉर्म होगा जो सभी भागीदार बैंकों में संदिग्ध लेन-देन की पहचान और रोकथाम करेगा।
IDPIC को एक गैर-लाभकारी सेक्शन 8 कंपनी के रूप में स्थापित किया जा रहा है, जिसकी अधिकृत पूंजी ₹500 करोड़ और प्रारंभिक पूंजी ₹200 करोड़ होगी। इस प्लेटफ़ॉर्म का उद्देश्य बैंकों के लिए एक केंद्रीकृत प्रणाली बनाना है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) आधारित तकनीक का इस्तेमाल कर धोखाधड़ी के पैटर्न को पहचान सके और तुरंत चेतावनी जारी कर सके।
कंपनी का संचालन SBI और BoB के वरिष्ठ निदेशकों द्वारा किया जाएगा, जबकि इसके तहत 12 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक साझेदार के रूप में जुड़े रहेंगे। इस सहयोगी मॉडल के तहत सभी बैंकों के सिस्टम को एक साझा डेटा नेटवर्क से जोड़ा जाएगा, जिससे रियल-टाइम ट्रांजैक्शन मॉनिटरिंग और इंटेलिजेंस शेयरिंग संभव होगी।
IDPIC की चरणबद्ध कार्ययोजना
पहला चरण कंपनी का गठन और पंजीकरण होगा, जिसके लिए कंपनी अधिनियम के तहत सेक्शन 8 के अंतर्गत रजिस्ट्रेशन किया जाएगा।
दूसरे चरण में पूंजी निवेश और ढांचा निर्माण किया जाएगा, जिसमें प्रारंभिक ₹200 करोड़ की पूंजी से तकनीकी इंफ्रास्ट्रक्चर, स्टाफिंग और संचालन ढांचा तैयार किया जाएगा।
तीसरे चरण में तकनीकी विकास पर जोर होगा, जहां AI/ML आधारित रियल-टाइम ट्रांजैक्शन मॉनिटरिंग इंजन तैयार किया जाएगा ताकि किसी भी संदिग्ध गतिविधि को तुरंत चिन्हित किया जा सके।
चौथे चरण में सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के सिस्टम को IDPIC से जोड़ने की प्रक्रिया होगी, जिससे सुरक्षित डेटा शेयरिंग और इंटेलिजेंस एक्सचेंज सुनिश्चित किया जा सके।
पांचवां चरण जोखिम इंटेलिजेंस परत का निर्माण होगा, जिसमें लोकेशन, डिवाइस और लेन-देन की आवृत्ति जैसे डेटा पॉइंट्स का विश्लेषण किया जाएगा।
छठा चरण संचालन और अनुपालन से जुड़ा होगा, जहां RBI के नियामक ढांचे के अनुरूप नियमित ऑडिट और पारदर्शिता रिपोर्टिंग की जाएगी।
अन्य प्लेटफ़ॉर्म से अंतर
RBI का डिजिटल पेमेंट्स इंटेलिजेंस प्लेटफ़ॉर्म (DPIP) जहां भुगतान प्रणाली डेटा जैसे UPI, NEFT और IMPS की निगरानी करता है, वहीं IDPIC सीधे बैंकों के ट्रांजैक्शन डेटा पर काम करेगा और रियल-टाइम धोखाधड़ी पहचान पर केंद्रित रहेगा।
इसके अलावा, दूरसंचार विभाग (DoT) का डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफ़ॉर्म (DIP) मुख्य रूप से टेलीकॉम आधारित धोखाधड़ी, जैसे सिम स्वैप और फ़िशिंग कॉल्स पर फोकस करता है।
इस प्रकार, IDPIC न केवल DPIP और DIP का पूरक होगा बल्कि बैंकिंग क्षेत्र में धोखाधड़ी रोकथाम का सबसे तेज़ और सक्रिय प्लेटफ़ॉर्म साबित होगा।
रणनीतिक महत्व
भारत में डिजिटल भुगतान प्रणाली के तेजी से विस्तार के साथ धोखाधड़ी के मामलों में भी वृद्धि हुई है। IDPIC की स्थापना से बैंकों को एक साझा सुरक्षा ढांचा मिलेगा जो उन्हें किसी भी संदिग्ध लेन-देन की रियल-टाइम जानकारी उपलब्ध कराएगा। इससे ग्राहकों के धन की सुरक्षा, बैंकिंग प्रणाली में भरोसे की मजबूती और डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम में पारदर्शिता बढ़ेगी।
SBI और BoB के संयुक्त प्रयास से यह पहल भारतीय बैंकिंग प्रणाली में साइबर सुरक्षा और जोखिम प्रबंधन के क्षेत्र में एक नई मिसाल साबित होगी।


