नई दिल्ली : इसी वर्ष हुए लोकसभा चुनाव (Loksabha Election 2024) में विपक्षी पार्टियों ने साझा गठबंधन कर चुनाव लड़ा था और इस गठबंधन को INDIA (Indian National Developmental Inclusive Alliance) का नाम दिया था। विपक्ष के एकजुट होने से सत्तारूढ़ बीजेपी को चुनाव में नुकसान भी उठाना पड़ा था और अपने दम पर बहुमत के आंकड़े को नहीं हासिल कर सकी, हालाँकि बीजेपी की अगुवाई वाली NDA गठबंधन ने जरूर बहुमत हासिल किया और केंद्र में तीसरी बार मोदी सरकार (Modi Government 3.0) का गठन हुआ। वही जिस विपक्षी गठबंधन ने बीजेपी को अपने दम पर बहुमत हासिल करने से रोक दिया था, वही अब गठबंधन अब टूट की कगार पर है और एक-एक कर क्षेत्रीय पार्टियां इस गठबंधन से अलग हो रही है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों (Maharashtra Election 2024) के बाद देखा जा रहा है कि आम आदमी पार्टी (AAP) ही नहीं, इंडिया ब्लॉक में शामिल तमाम पार्टियां कांग्रेस (Congress) से पीछा छुड़ानें में जुटी हुई हैं। दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Election 2025) में कांग्रेस की एक भरोसेमंद सहयोगी समाजवादी पार्टी (SP) भी अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की आम आदमी पार्टी के लिए बैटिंग करती दिख रही है। इससे लगता है कि कहीं न कहीं सहयोगी पार्टियां कांग्रेस से दूरी बनाने की कोशिश में हैं।
सोमवार को आप के चुनाव प्रचार की एक कड़ी के तहत आयोजित महिला अदालत में सपा प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yaedav) ने यह कहकर अपनी मंशा साफ कर दी कि ‘जिस तरह से आप सरकार ने काम किया है, हमें लगता है कि वह एक और मौके की हकदार है।’ दिल्ली में जब कांग्रेस पार्टी भी अकेले चुनाव लड़ रही है, तब सपा सुप्रीमो का इस तरह से आप का समर्थन करना कांग्रेस की परेशानियों को और बढ़ाने वाला है।
इंडिया ब्लॉक के चेयरमैन होने के नाते कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) इसके नेता हैं। लेकिन, कांग्रेस अघोषित तौर पर लोकसभा में विपक्ष के नेता और पार्टी सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को इसके लिए आगे बढ़ाने की कोशिशों में जुटी हुई दिखती है। यही वजह है कि संसद के शीतकालीन सत्र में सदन के अंदर और बाहर दोनों जगहों पर कई बार कांग्रेस अपने सहयोगियों के बीच अलग-थलग पड़ती दिखाई पड़ी है। चाहे संदिग्ध विदेशी अरबपति जॉर्ज सोरोस से जुड़ा मुद्दा हो या फिर उद्योगपति गौतम अडानी का।
दिल्ली में कांग्रेस पार्टी ने जिस तरह से आप संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ नई दिल्ली सीट से अपने पूर्व सांसद संदीप दीक्षित (Sandip Dixit) को उतारा है, उससे दोनों दलों के रिश्ते में ज्यादा दूरी बढ़ गई है। एक वरिष्ठ आप नेता ने कांग्रेस के फैसले की आलोचना करते हुए कहा, ‘क्या कांग्रेस दो बार मुख्यमंत्री रह चुके व्यक्ति के साथ इस तरह का बर्ताव करेगी, जिसने सरकार सही से चले यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ महीने पहले इस्तीफा दे दिया है?’
उससे पहले इंडिया ब्लॉक की कमान ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) को सौंपने की वकालत गठबंधन के शरद पवार (Sharad Paawar) और लालू यादव (Lalu Yadav) जैसे नेता तक कर चुके हैं। इस तरह से इस वक्त ऐसा लग रहा है कि लोकसभा चुनाव में इंडिया ब्लॉक के नाम पर विपक्ष ने कम से कम एकता की जो एक चुनावी धारणा तैयार की थी, वह तो तार-तार हो ही रही है, उसकी सबसे बड़ी भुक्तभोगी कांग्रेस बनकर उभरी है, जिससे पीछा छुड़ाने के लिए सहयोगियों में होड़ सी लग चुकी है।


