Delhi Crime: दिल्ली क्राइम ब्रांच ने किया बहु-राज्यीय RRU चोरी गिरोह का पर्दाफाश, ₹48 लाख के उपकरण बरामद
रिपोर्ट: हेमंत कुमार
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक बड़े ऑपरेशन को अंजाम देते हुए एक ऐसे संगठित गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो बहु-राज्यीय स्तर पर मोबाइल टावरों से अत्यंत महत्वपूर्ण तकनीकी उपकरण — रिमोट रेडियो यूनिट्स (RRU) — की चोरी में संलिप्त था। इस गिरोह के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें एक रिसीवर भी शामिल है, और ₹48 लाख मूल्य के 12 आरआरयू समेत अत्याधुनिक उपकरण, एक टैक्सी और टेलीकॉम स्क्रैप की बड़ी मात्रा बरामद की गई है।
यह कार्रवाई दिल्ली क्राइम ब्रांच की केंद्रीय रेंज द्वारा की गई, जिसमें लगातार एक सप्ताह तक गहन निगरानी, गुप्त सूचना संकलन और तकनीकी विश्लेषण के आधार पर 16 छापे मारे गए। टीम ने विशेष रूप से राजधानी के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र की घनी आबादी और संवेदनशीलता वाले इलाकों में दिन-रात डेरा डाले रखा और सफलता पूर्वक इस गिरोह को बेनकाब किया।
गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान समीरुद्दीन, मो. जाहिम उर्फ जैम, जैद और मो. सुलतान उर्फ शोबी के रूप में हुई है। इन सभी की उम्र 20 से 25 वर्ष के बीच है और वे वेलकम, मौजपुर तथा उत्तर गोण्डा जैसे संवेदनशील इलाकों में निवास करते हैं। इनमें से एक टैक्सी चालक है, जिसकी गाड़ी का उपयोग चोरी किए गए आरआरयू के परिवहन के लिए किया जा रहा था। दूसरा आरोपी एसी मैकेनिक के रूप में कार्य करता था, तीसरा जीन्स फैक्ट्री में काम करता था और चौथा आरोपी अपने पिता की चूड़ी निर्माण इकाई में कार्यरत था। इनमें से एक आरोपी के खिलाफ पहले से भजनपुरा थाने में आर्म्स एक्ट और अन्य धाराओं में मामला दर्ज है।
आरआरयू, जिन्हें रिमोट रेडियो हेड्स के नाम से भी जाना जाता है, मोबाइल टावरों पर लगाए जाने वाले अत्यंत महत्वपूर्ण ट्रांससीवर उपकरण होते हैं, जो वायरलेस नेटवर्क के माध्यम से मोबाइल फोन और अन्य उपकरणों को नेटवर्क से जोड़ते हैं। इनकी सहायता से वॉयस कॉल, इंटरनेट डेटा, और अन्य वायरलेस सेवाओं की सुविधा प्रदान की जाती है। आरआरयू या बीबीयू (बेसबैंड यूनिट) की चोरी से न केवल टेलीकॉम कंपनियों को भारी वित्तीय नुकसान होता है, बल्कि स्थानीय स्तर पर हजारों उपभोक्ताओं की कनेक्टिविटी भी प्रभावित होती है — जिसमें आपातकालीन सेवाएं भी शामिल हैं।
पुलिस के अनुसार, इस गिरोह की कार्यप्रणाली बेहद संगठित और सावधानीपूर्वक संचालित की गई थी। ये आरोपी कभी एक स्थान पर ज्यादा समय तक नहीं रहते थे और बार-बार अपना ठिकाना बदलते रहते थे। चोरी किए गए उपकरणों को छुपाने और आगे भेजने के लिए इन्होंने बेहद संकरे और घनी बस्तियों को चुना था, जहां पहुंचना कानून-व्यवस्था की दृष्टि से चुनौतीपूर्ण होता है। संदिग्धों द्वारा कोडेड भाषा में संवाद करना, चोरी का माल स्क्रैप की आड़ में ले जाना, और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की सहायता से ट्रैकिंग से बचने की तकनीकें अपनाना — यह सब दर्शाता है कि यह गिरोह टेक्नोलॉजी का कुशलता से दुरुपयोग कर रहा था।
इस ऑपरेशन का नेतृत्व एसीपी पंकज अरोड़ा के मार्गदर्शन में निरीक्षक सुनील कालखंडे और उनकी टीम ने किया, जिसमें एसआई सुब्रत चंद, बीरपाल, एचसी विजय, परवीन, समंदर, जय सिंह, रौशन और महिला कांस्टेबल वरसा जैसे अधिकारी शामिल थे। इस टीम ने न केवल गुप्त सूचना के आधार पर संदिग्धों की निगरानी की, बल्कि स्थानीय वातावरण में घुल-मिलकर सुराग भी जुटाए और तकनीकी उपकरणों के माध्यम से उनकी गतिविधियों को ट्रैक किया।
जांच के दौरान पता चला कि दिल्ली इन चोरी किए गए आरआरयू और बीबीयू के अस्थायी भंडारण और ट्रांजिट का प्रमुख केंद्र बन चुका था। इस कारण से दिल्ली पुलिस को इन गैंग्स को पकड़ने के लिए विशेष रणनीति अपनानी पड़ी। गिरोह का नेटवर्क विभिन्न राज्यों तक फैला हुआ है और इसकी कड़ियाँ देश के अन्य हिस्सों जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा और पंजाब तक जुड़ी हुई पाई गई हैं।
गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ के आधार पर दिल्ली में आरआरयू चोरी के आठ मामलों को सुलझा लिया गया है। बरामद उपकरणों को टेलीकॉम कंपनियों के नोडल अधिकारियों से सत्यापित करवाया जा रहा है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि ये उपकरण कहां से चोरी हुए थे। इसके अलावा, जब्त किए गए उपकरणों और सॉफ़्टवेयर की फॉरेंसिक जांच भी जारी है, जिससे यह पता लगाया जा सके कि इनका उपयोग किस प्रकार के नेटवर्क में किया गया।
दिल्ली पुलिस अब इस गिरोह के अन्य सदस्यों, स्क्रैप डीलरों और संभावित अंतरराज्यीय सहयोगियों की तलाश कर रही है। यह भी जांच की जा रही है कि क्या इन चोरी किए गए उपकरणों को किसी अंतरराष्ट्रीय काले बाजार में बेचा गया या भेजने की योजना थी।
यह ऑपरेशन न केवल दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की दक्षता और समर्पण का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि टेक्नोलॉजी से जुड़े संगठित अपराधों से निपटने के लिए पुलिस किस प्रकार सतर्कता और तकनीकी साधनों का प्रयोग कर रही है। दूरसंचार जैसे महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर की रक्षा करना न केवल सुरक्षा का विषय है, बल्कि यह आम नागरिकों के जीवन से जुड़ी मूलभूत सेवाओं की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए भी आवश्यक है।
दिल्ली पुलिस ने स्पष्ट किया है कि वे ऐसे किसी भी संगठित अपराध को बर्दाश्त नहीं करेंगे और ऐसे अपराधियों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी, ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा और नागरिकों की संचार आवश्यकताएं किसी भी परिस्थिति में बाधित न हों।