Delhi Pollution Crisis: दिल्ली में बढ़ता डेंगू-मलेरिया संकट, भाजपा शासित MCD पर आंकड़े छिपाने के आरोप, प्रदूषण और बीमारियों से बेहाल राजधानी
रिपोर्ट – हेमंत कुमार
दिल्ली में प्रदूषण और मौसमी बीमारियों का कहर लगातार बढ़ रहा है। बावजूद इसके, भाजपा शासित नगर निगम (MCD) की लापरवाही और आंकड़ों को छिपाने की राजनीति ने स्थिति को और भयावह बना दिया है। विपक्ष का आरोप है कि भाजपा के “चारों इंजन”—केंद्र, दिल्ली के एलजी, एमसीडी और दिल्ली पुलिस—मिलकर भी राजधानी को बीमारियों और प्रदूषण से बचाने में पूरी तरह विफल साबित हुए हैं।
दरअसल, 6 अक्टूबर के बाद पहली बार 3 नवंबर को एमसीडी ने रिपोर्ट जारी की, जिसमें चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में केवल तीन हफ्तों के भीतर डेंगू के 300, मलेरिया के 200 और चिकनगुनिया के 60 नए मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि डेंगू से दो लोगों की मौत की पुष्टि भी हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि वास्तविक आंकड़े इससे कहीं अधिक हो सकते हैं, क्योंकि कई मरीज निजी अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं, जिनकी सूचना एमसीडी के पास नहीं पहुंचती।
दिल्ली सरकार के सूत्रों ने बताया कि भाजपा-शासित एमसीडी जानबूझकर बीमारी से जुड़ी रिपोर्ट्स को देर से जारी करती है ताकि उनकी कार्यप्रणाली पर सवाल न उठें। महापौर राजा इकबाल सिंह पर भी आरोप है कि उन्होंने मौसमी बीमारियों से हुई मौतों के आंकड़े छिपाए हैं ताकि नगर निगम की लापरवाही उजागर न हो सके।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यदि भाजपा सरकार और एमसीडी प्रशासन ने समय रहते सफाई कर्मचारियों (MTS) की हड़ताल खत्म कराई होती, तो मच्छरों के प्रकोप को काफी हद तक रोका जा सकता था। हड़ताल के दौरान नालियों की सफाई और फॉगिंग का काम ठप पड़ गया, जिसका सीधा असर जनस्वास्थ्य पर पड़ा।
राजधानी की सड़कों और गलियों में जगह-जगह कूड़ा जमा है, नालियां जाम हैं और खुले में पानी भरा पड़ा है, जो मच्छरों के लिए अनुकूल वातावरण बना रहा है। इस बीच, दिल्ली की हवा में भी जहर घुल चुका है। प्रदूषण का स्तर “गंभीर” श्रेणी में पहुंच चुका है, जिससे सांस की बीमारियाँ, एलर्जी और खांसी-जुकाम के मामले बढ़ रहे हैं।
आम आदमी पार्टी ने एमसीडी और भाजपा सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा है कि दिल्ली में भाजपा की नीतियों ने “हवा में जहर और गलियों में मच्छर” छोड़ दिए हैं। विपक्ष का आरोप है कि आंकड़ों को दबाने और जनता को भ्रमित करने की राजनीति के कारण हर साल हजारों लोग इन बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं।
इस बीच, नागरिक संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी से मांग की है कि दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण और मलेरिया-डेंगू रोकथाम को लेकर जवाबदेही तय की जाए। उनका कहना है कि जब तक राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं दिखाई जाएगी, तब तक दिल्ली के लोग बीमारियों और प्रदूषण के बीच जूझते रहेंगे।


