अपूज्य की पूजा न करें, केवल पूज्य देवताओं की करें आराधना: शंकराचार्य जी महाराज का संदेश
प्रयागराज, 17 जनवरी 2025:
प्रयागराज कुंभक्षेत्र में आयोजित परमधर्म संसद में उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती जी महाराज ने सनातन धर्म के अनुयायियों को पूज्य और अपूज्य की महत्ता समझाई। माघ कृष्ण तृतीया के शुभ अवसर पर आयोजित इस सभा में शंकराचार्य जी ने कहा कि शास्त्रों के अनुसार जहाँ अपूज्य की पूजा की जाती है और पूज्य की पूजा में व्यवधान उत्पन्न होता है, वहाँ दुर्भिक्ष, मरण और भय का जन्म होता है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि वर्तमान में हिंदू समाज में यह समस्या बढ़ रही है। कई स्थानों पर पूज्य देवताओं के मंदिरों में भी अपूज्य की पूजा का प्रचलन हो गया है। इसे रोकने के लिए धर्म संसद में यह प्रस्ताव पारित किया गया कि सनातन धर्म में केवल सच्चिदानंदघन परब्रह्म, जो पंचदेवों के रूप में प्रकट होते हैं, उनकी पूजा की जानी चाहिए।
सनातन धर्म के उपास्य देवता और उनकी पूजा की विधि
शंकराचार्य जी ने कहा, “वेदों में केवल एक ही उपास्य देवता बताया गया है, वह हैं सच्चिदानंदघन परब्रह्म। पंचदेव—गणेश, सूर्य, विष्णु, शिव, और शक्ति—इस परब्रह्म के ही विभिन्न रूप हैं। इनकी पूजा नवधा भक्ति के रूप में होनी चाहिए, जो श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पादसेवन, अर्चन, वंदन, दास्य, सख्य और आत्मनिवेदन से सम्पन्न होती है।”
उन्होंने यह भी बताया कि 33 कोटि देवताओं का अभिप्राय इन्हीं पांच कोटि के देवताओं से है:
- 12 आदित्य: उत्पत्ति के देवता सूर्य
- 8 वसु: पोषण के देवता विष्णु
- 11 रुद्र: संहारक शिव
- 2 अश्विनी कुमार: निग्रह और अनुग्रहकर्ता देवता
शंकराचार्य जी ने पंचदेव पूजा की विधि बताते हुए कहा कि इष्ट देवता को मध्य में स्थापित कर शेष चार देवताओं को चार दिशाओं में विराजमान कर पंचायतन पूजा करनी चाहिए।
अपूज्य की पूजा से बचें
शंकराचार्य जी ने धर्म संसद के माध्यम से यह भी कहा कि अचेतन और अयोग्य की पूजा किसी भी स्थिति में नहीं की जानी चाहिए। अपूज्य की पूजा से दुर्भिक्ष, भय और अनिष्ट का जन्म होता है। सनातन धर्म में केवल योग्य और पूज्य देवताओं की ही आराधना करने का प्रावधान है।
धर्म संसद में प्रमुख वक्ता और चर्चाएँ
धर्म संसद में साध्वी पूर्णाम्बा जी ने उपास्य देवताओं की स्थापना पर विचार व्यक्त किए। डॉ. गार्गी पंडित जी ने उपास्य देवताओं पर विस्तृत चर्चा की। साध्वी गिरिजा गिरी जी, चंद्रानंद गिरी जी महाराज, जितेंद्र खुराना जी (दिल्ली), फलाहारी बाबा (महाराष्ट्र), और अन्य संत-महात्माओं ने भी अपने विचार रखे।
प्रश्नोत्तर सत्र में राजा सक्षम सिंह योगी, सचिन जानी (अहमदाबाद), चंद्रकांत पाठक (सतना) और अन्य भक्तों ने प्रश्न पूछे। शंकराचार्य जी ने इनका संतोषजनक उत्तर देकर धर्म के गूढ़ विषयों पर प्रकाश डाला।
धर्म संसद का आज का सत्र ब्रह्मचारी केशवानंद जी (छड़ीदार) के देवलोकगमन पर शोक व्यक्त करने के साथ आरंभ हुआ। शंकराचार्य जी ने सभा का समापन करते हुए सनातन धर्म के अनुयायियों को अपनी पूजा पद्धति में शुद्धता और शास्त्रों का पालन करने का आह्वान किया।