SIP Calling: आज का साइबर सुरक्षा विशेष रिपोर्ट, “SIP कॉलिंग, साइबर अपराधियों का नया घातक हथियार”
रिपोर्ट: हेमंत कुमार
साइबर अपराध की दुनिया तेजी से बदल रही है, और अब अपराधी तकनीक के और भी उन्नत हथियारों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इनमें सबसे नया और खतरनाक नाम है — SIP कॉलिंग। हाल के महीनों में SIP कॉलिंग तकनीक का दुरुपयोग कर हजारों भारतीयों को निशाना बनाया गया है। यह तकनीक केवल तकनीकी जानकारों की बात नहीं रह गई, बल्कि अब हर आम नागरिक को इसके खतरों को समझना जरूरी है।
क्या है SIP कॉलिंग?
SIP (Session Initiation Protocol) एक इंटरनेट-आधारित कम्युनिकेशन प्रोटोकॉल है जिसका प्रयोग VoIP यानी Voice over Internet Protocol के ज़रिए कॉल करने में होता है। SIP तकनीक पारंपरिक मोबाइल या टेलीफोन नेटवर्क से हटकर इंटरनेट के ज़रिए कॉल की सुविधा देती है। इस टेक्नोलॉजी का सही इस्तेमाल बेहद किफायती और आधुनिक समाधान हो सकता है, लेकिन जब इसका दुरुपयोग होता है, तो यह एक बेहद ख़तरनाक साइबर हथियार बन जाता है।
कैसे बन रहा है SIP साइबर अपराधियों का पसंदीदा जरिया?
साइबर अपराधी SIP का उपयोग कर कॉलर ID स्पूफिंग करते हैं, जिससे कॉल रिसीवर को लगता है कि कॉल किसी भारतीय नंबर से आ रही है – चाहे असल में वो कनाडा, थाईलैंड या कंबोडिया से की जा रही हो। यही फर्जी पहचान लोगों को भ्रम में डालती है और उन्हें आसानी से ठगने में सहायक बनती है।
SIP कॉलिंग बहुत ही कम लागत में बड़े पैमाने पर कॉलिंग अभियान चलाने की सुविधा देता है। एक ही सॉफ्टवेयर इंटरफेस के जरिए हजारों कॉल्स की जा सकती हैं। अपराधियों के लिए यह किसी हथियार से कम नहीं, क्योंकि इसे ऑपरेट करने के लिए महंगे उपकरणों की जरूरत नहीं – केवल इंटरनेट और थोड़ी तकनीकी जानकारी काफी है।
डिजिटल अरेस्ट स्कैम: SIP तकनीक का सबसे भयानक उदाहरण
हाल ही में सामने आए “डिजिटल अरेस्ट” स्कैम में SIP कॉलिंग का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग देखा गया। अपराधियों ने 5,000 से ज्यादा SIP नंबरों और 2 लाख से अधिक स्पूफ कॉल्स का उपयोग कर आम लोगों को फोन कर खुद को CBI अधिकारी, TRAI एजेंट या बैंक मैनेजर बताकर धमकाया।
लोगों को बताया गया कि उनके खिलाफ कोई गंभीर अपराध का मामला दर्ज है और गिरफ्तारी से बचने के लिए तुरंत पैसे ट्रांसफर करने होंगे। हैरानी की बात यह रही कि इन कॉल्स को भारतीय टेलीकॉम प्रदाताओं जैसे जियो और टाटा टेली के नेटवर्क से जोड़ा गया SIP एक्सेस से किया गया था, जिससे ट्रेसिंग और भी मुश्किल हो गई।
तकनीक की ताकत और लचीलापन: अपराधियों के लिए वरदान
SIP की ताकत यह है कि यह तकनीक डिवाइस और लोकेशन से स्वतंत्र है। एक अपराधी मोबाइल ऐप, सॉफ्टफोन या ब्राउज़र आधारित SIP टूल्स से दुनिया के किसी भी कोने से कॉल कर सकता है। SIP टेक्नोलॉजी वॉयस कॉलिंग के साथ-साथ वीडियो कॉलिंग, मैसेजिंग और कॉन्फ्रेंसिंग को भी सपोर्ट करती है। इसके अलावा SIP कॉल्स को कई स्तरों के सर्वर से रूट किया जा सकता है, जिससे असली सोर्स को छुपाना बेहद आसान हो जाता है।
कई फ्रॉड गैंग्स तो कुछ ही घंटों में क्लाउड बेस्ड PBX सिस्टम से SIP लाइनों को सेटअप कर लेते हैं, जिससे उनका नेटवर्क एक दिन में सैकड़ों या हजारों भारतीयों को कॉल करने में सक्षम हो जाता है। इस सब में तकनीकी पेचिदगियों की आड़ लेकर वे कानूनी निगरानी से बचते हैं।
सरकार और एजेंसियों की सतर्कता
देश में बढ़ते इस खतरे को देखते हुए दूरसंचार विभाग (DoT) ने ऐसे सिस्टम लागू किए हैं जो भारतीय नंबर की तरह दिखने वाली इंटरनेशनल स्पूफ कॉल्स को रोकने का काम करते हैं। साथ ही नागरिकों को #Chakshu पोर्टल पर ऐसे मामलों की रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
वहीं, जांच एजेंसियां SIP के दुरुपयोग पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। कई SIP सेवा प्रदाताओं के लाइसेंस की जांच की जा रही है और उन कंपनियों पर कार्रवाई की जा रही है जो इन फ्रॉड कॉल्स को बढ़ावा दे रही हैं।
निष्कर्ष: आपकी सतर्कता ही आपकी सुरक्षा है
SIP कॉलिंग कोई नई चीज़ नहीं, लेकिन इसका इस्तेमाल जिस पैमाने पर अब साइबर अपराध के लिए हो रहा है, वह हर नागरिक के लिए खतरे की घंटी है। अगर आपको कोई कॉल आती है जो खुद को सरकारी अधिकारी बताकर डराने की कोशिश करे, तो कभी भी पैसे न भेजें। कॉल की सत्यता की पुष्टि करें और तुरंत #Chakshu या नजदीकी साइबर क्राइम थाना में इसकी शिकायत दर्ज कराएं।
याद रखें — साइबर सुरक्षा कोई विकल्प नहीं, जरूरत है।
आपकी सतर्कता ही सबसे मजबूत फ़ायरवॉल है।


