Guru Purnima 2025: गुरु पूर्णिमा पर स्वामी चक्रपाणि जी महाराज का भव्य गुरुपूजन समारोह नई दिल्ली में सम्पन्न, संतों और राष्ट्र सेवकों का विराट संगम
10 जुलाई 2025 को पावन गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर नई दिल्ली स्थित हिंदू महासभा भवन में सनातन सम्राट स्वामी चक्रपाणि जी महाराज का भव्य गुरुपूजन समारोह अत्यंत श्रद्धा, भक्ति और दिव्यता के साथ संपन्न हुआ। यह आयोजन न केवल सनातन परंपरा की भव्यता को प्रकट करने वाला था, बल्कि हिंदू राष्ट्रवाद, संस्कृति और संत समाज के संगम का जीवंत उदाहरण भी बना।
कार्यक्रम का शुभारंभ वैदिक मंत्रोच्चार एवं हवन के साथ हुआ, जिसके बाद स्वामी चक्रपाणि जी महाराज का विधिपूर्वक गुरुपूजन किया गया। पुष्प अर्पण, माल्यार्पण, दीप प्रज्वलन और भक्ति संगीत की मधुर लहरियों के बीच श्रद्धालु भाव-विभोर हो उठे। उपस्थित वक्ताओं ने स्वामी चक्रपाणि जी को “सनातन धर्म का जीवंत स्वर”, “हिंदू राष्ट्रवाद का ध्वजवाहक” और “समाज व राष्ट्र के महान मार्गदर्शक” के रूप में श्रद्धापूर्वक नमन किया।

इस अवसर पर स्वामी जी ने विशेष रूप से देश के भविष्य, बालकों को आशीर्वचन दिए। उन्होंने अवनी पांडे और वसु श्रीवास्तव जैसे बच्चों को अपने कर-कमलों से आशीर्वाद देते हुए कहा, “बच्चों में ही भारत का भविष्य निहित है। यदि इन्हें धर्म, संस्कार और राष्ट्रभाव से जोड़कर तैयार किया जाए, तो भारत पुनः विश्वगुरु बनकर खड़ा होगा।”
भव्य आयोजन में उपस्थित अतिथियों की गरिमामयी सूची स्वयं आयोजन की महत्ता को दर्शाती थी। डॉक्टर इंदिरा तिवारी, डॉक्टर हरप्रीत सिंह कोचर, डॉ. रचना गर्ग, महंत विजय पांडे, महिला अध्यक्ष रेखा पांडे, कर्नाटक से मनोज, दिल्ली से विवेक जोशी और भुवनेश्वर शर्मा, उत्तर प्रदेश अध्यक्ष अनुपम मिश्रा, संगठन मंत्री श्री राजकुमार सिंह, काशी से श्रीकांत पांडे, वृंदावन से संजय हरियाणा, राजकुमार बबलू, सुमन ओझा, हरिश शर्मा, देवेंद्र कुमार, पिंकी शर्मा और अन्य अनेक श्रद्धालु इस ऐतिहासिक आयोजन का हिस्सा बने।
तमिलनाडु संत महासभा के अध्यक्ष श्री राम स्वामी, श्री चित्रगुप्त अखाड़ा संगठन दिल्ली के अध्यक्ष श्री कुलदीप श्रीवास्तव, हरियाणा अध्यक्ष नरेंद्र सैनी तथा संगठन संयोजक जगविजय ने भी स्वामी जी के चरणों में श्रद्धा निवेदित की और गुरु परंपरा के महत्व को उजागर किया।
कार्यक्रम की विशेष गरिमा उस समय और बढ़ गई जब जगद्गुरु दुर्गाचार्य कंचन गिरी जी की दिव्य उपस्थिति मंच पर हुई। उनका आशीर्वचन, स्वामी चक्रपाणि जी के विचारों के साथ समन्वय स्थापित करता हुआ, उपस्थितजनों के अंतर्मन को स्पर्श करता रहा।
स्वामी चक्रपाणि जी महाराज ने अपने उद्बोधन में कहा –
“सनातन धर्म केवल भारत का नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता का धर्म है। ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ की भावना ही विश्व शांति का आधार है। हम सभी का संकल्प है कि भारत को एक बार फिर विश्वगुरु के रूप में स्थापित करें और सनातन के वैभव को पुनः जगजाहिर करें।”
समारोह के अंत में सभी श्रद्धालुओं के लिए भव्य भंडारे का आयोजन हुआ, जिसमें प्रसाद वितरण के साथ भक्ति संगीत की स्वर लहरियों ने वातावरण को आनंदमय बना दिया। स्वामी जी के गगनभेदी नारों—“सनातन धर्म की जय”, “भारत माता की जय”, “गुरुचरणों में वंदन”—से वातावरण गूंज उठा।
इस संपूर्ण आयोजन की जानकारी अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता ब्रह्मऋषि बी.के. शर्मा ‘हनुमान’ जी ने प्रेस को साझा की और बताया कि यह केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि सनातन चेतना के जागरण का मंत्र बन गया।


