Khalsa Sajna Diwas: खालसा साजना दिवस पर बच्चों ने कीर्तन से बांधा समा, गुरुद्वारे में गूंजे श्रद्धा के स्वर
रिपोर्ट: हेमंत कुमार
सरस्वती गार्डन स्थित गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा में खालसा साजना दिवस (वैसाखी) के पावन अवसर पर एक भव्य कीर्तन दरबार का आयोजन किया गया। इस विशेष आयोजन में छोटे-छोटे बच्चों ने अत्यंत मधुर स्वर में गुरबाणी कीर्तन कर संगत को मंत्रमुग्ध कर दिया। सिख परंपरा और गुरु घर से जुड़ाव को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से आयोजित इस कार्यक्रम में भारी संख्या में संगत की उपस्थिति देखने को मिली।
कार्यक्रम की विशेष बात यह रही कि इसमें 5 वर्ष से लेकर 18 वर्ष तक के बच्चों ने भाग लिया और अपने सच्चे सुरों और भक्ति भाव से संगत का मन जीत लिया। इस सराहनीय प्रयास के लिए गुरुद्वारा कमेटी की ओर से सभी प्रतिभागी बच्चों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में बच्चों की प्रस्तुति से गुरु घर की गरिमा और श्रद्धा का माहौल और भी दिव्य हो गया।
इस शुभ अवसर पर नेशनल अकाली दल के अध्यक्ष परमजीत सिंह पम्मा को कमेटी के महासचिव रविंदर पाल सिंह नागपाल और अन्य सदस्यों ने सरोपा पहनाकर विशेष रूप से सम्मानित किया। इस सम्मान को स्वीकार करते हुए पम्मा ने उपस्थित संगत को खालसा साजना दिवस की बधाई दी और कहा कि ऐसे धार्मिक आयोजन समाज के लिए अत्यंत आवश्यक हैं, विशेष रूप से बच्चों के लिए। उन्होंने कहा कि आजकल बच्चे मोबाइल और तकनीक की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं, जिससे उनका मानसिक और नैतिक विकास प्रभावित हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि बच्चों को शुरू से ही धर्म, संस्कृति और सेवा भाव से जोड़ने के लिए ऐसे आयोजन होते रहें।
महासचिव रविंदर पाल सिंह नागपाल ने कहा कि कमेटी का उद्देश्य बच्चों को गुरु घर से जोड़ना और उनमें आध्यात्मिक मूल्यों को विकसित करना है। उन्होंने कहा कि गुरबाणी की शक्ति से ही आत्मा का शुद्धिकरण होता है और समाज में शांति और भाईचारे का संचार होता है। उन्होंने संगत से अपील की कि वे ऐसे आयोजनों में बढ़-चढ़कर भाग लें और बच्चों को भी भाग लेने के लिए प्रेरित करें।
इस शुभ दिन पर पूरे गुरुद्वारा परिसर को भव्य रूप से सजाया गया था और लंगर की भी व्यवस्था की गई थी। संगत ने कीर्तन का आनंद लेते हुए गुरु साहिब के प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित की। आयोजन के समापन पर अरदास की गई और सबके सुख, शांति और चढ़दी कला की कामना की गई।
खालसा साजना दिवस पर इस तरह का आयोजन बच्चों के भविष्य और सिख संस्कृति की विरासत को आगे बढ़ाने की दिशा में एक प्रेरणादायी कदम साबित हुआ।