Sanatan Dharma: शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा – गोत्र ही हिंदुओं की असली पहचान
Sanatan Dharma: शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा – गोत्र ही हिंदुओं की असली पहचान
रिपोर्ट: आशीष कुमार
सुपौल (बिहार), सुपौल में आज एक भव्य धार्मिक आयोजन के दौरान जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज ने सनातन धर्मावलंबियों को संबोधित करते हुए कहा कि गोत्र ही हिंदुओं की असली पहचान है। उन्होंने कहा कि आज के समय में हिंदू समाज अपने गोत्र और उसकी महत्ता को भूलता जा रहा है, जबकि यह हर सनातनी का परम कर्तव्य है कि वह अपने गोत्र को याद रखे और उसकी परंपरा का पालन करे।
यह कार्यक्रम राष्ट्रव्यापी ‘गौमतदाता संकल्प यात्रा’ के अंतर्गत आयोजित किया गया था, जो गौमाता की रक्षा और उन्हें राष्ट्रमाता घोषित करने की मांग को लेकर चल रहा है। शंकराचार्य जी जब सुपौल पहुंचे तो वहां बड़ी संख्या में मौजूद गौभक्तों और स्थानीय लोगों ने उनका भव्य स्वागत किया। पालकी में विराजमान शंकराचार्य जी महाराज को श्रद्धालुओं ने कार्यक्रम स्थल तक पहुंचाया।
सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि गौमाता का महत्व अपार है क्योंकि वे 33 कोटि देवी-देवताओं का आश्रय स्थल हैं। उन्होंने बताया कि भारतीय परंपरा में गुरु और ईश्वर जितने महत्वपूर्ण माने गए हैं, उतनी ही श्रद्धा गौमाता को भी दी गई है। घर में जब पहली रोटी बनाई जाती है तो वह गौमाता को समर्पित की जाती है। उन्होंने कहा कि युगों-युगों से नारायण स्वयं गौमाता की रक्षा के लिए अवतार लेते रहे हैं और अब समय आ गया है कि हम सभी भी संकल्प लें कि किसी भी कीमत पर गौमाता के रक्त को धरती पर नहीं गिरने देंगे।
शंकराचार्य जी महाराज ने नेताओं पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि बीते 78 वर्षों से लोग नेताओं पर भरोसा करते आ रहे हैं, लेकिन नेताओं ने गोकशी को रोकने के बजाय अपने निहित स्वार्थों के लिए इसे बढ़ावा ही दिया है। उन्होंने कहा कि अब जनता को स्वयं आगे आकर मतदान के माध्यम से गौमाता की रक्षा का संकल्प लेना होगा ताकि गोकशी जैसे पाप से समाज को मुक्त किया जा सके। इसी क्रम में उन्होंने सभा में मौजूद हजारों गौभक्तों से दाहिना हाथ उठाकर यह संकल्प करवाया कि वे गौमाता की रक्षा के लिए मतदान करेंगे और इस धर्मयुद्ध में सक्रिय भूमिका निभाएंगे।
सभा के बाद शंकराचार्य जी का काफिला फारबिसगंज की ओर बढ़ा। मार्ग में अनेक स्थानों पर श्रद्धालुओं ने उनका स्वागत किया, पुष्पवर्षा की और जोरदार जयकारों से वातावरण गूंज उठा। कुछ स्थानों पर भक्तों ने शंकराचार्य जी के चरणपादुकाओं का पूजन कर अपने जीवन को धन्य बनाने का अवसर प्राप्त किया।
इस अवसर पर कई संत-महात्माओं और समाजसेवियों ने भी उपस्थित जनसमूह को संबोधित किया। इनमें प्रत्यक्चैतन्यमुकुंदानंद गिरी जी महाराज, स्वामी दिव्यानंद सागर जी, देवेंद्र पांडेय, राजीव झा, रामकुमार झा और शैलेन्द्र योगी प्रमुख रूप से शामिल रहे। सभी ने एक स्वर में गौमाता की रक्षा और सनातन संस्कृति के संरक्षण की आवश्यकता पर बल दिया।
सुपौल में आयोजित यह धर्मसभा न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रही बल्कि इसने सनातन धर्मावलंबियों में नई चेतना का संचार भी किया। गौभक्तों ने इसे आस्था और विश्वास का संगम बताया और शंकराचार्य जी के संदेश को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लिया।
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