Cyber Security India: 60वीं कड़ी पर विशेष: “डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म” के ज़रिए साइबर अपराध के खिलाफ निर्णायक अभियान
रिपोर्ट: हेमंत कुमार
नई दिल्ली: भारत में साइबर सुरक्षा और डिजिटल जागरूकता के क्षेत्र में एक अहम माइलस्टोन को छूते हुए, “आज का साइबर सुरक्षा विचार” अपनी 60वीं कड़ी में प्रवेश कर चुका है। इस अवसर पर न केवल इसकी यात्रा का स्मरण किया गया, बल्कि पहले विचार को दोहराकर एक सशक्त संदेश दिया गया—कि साइबर अपराध से लड़ाई सिर्फ जानकारी नहीं, बल्कि निरंतर प्रतिबद्धता की मांग करती है।
इस विशेष कड़ी में जिस विषय पर रोशनी डाली गई है, वह है — डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (डिप) — जो भारत सरकार के दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा विकसित एक अत्याधुनिक और सुरक्षित प्लेटफॉर्म है। डिप को इस उद्देश्य से बनाया गया है कि देशभर में फैले स्टेकहोल्डर्स — जैसे कि टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स, बैंक, सोशल मीडिया कंपनियाँ, कानून प्रवर्तन एजेंसियाँ और पहचान-पत्र जारी करने वाली संस्थाएँ — एकसाथ मिलकर साइबर अपराध की घटनाओं को रोक सकें और त्वरित कार्रवाई कर सकें।
डिप को सशक्त बनाता है इसका रियल-टाइम इंटेलिजेंस शेयरिंग मॉडल, जिसके ज़रिए देशभर से मिली शिकायतें और संदिग्ध गतिविधियाँ तुरंत संबंधित एजेंसियों के पास पहुंचती हैं। इस प्रणाली में “चक्षु” नामक एक सुविधा भी शामिल है, जो नागरिकों को संचार साथी पोर्टल पर फर्जी कॉल, धोखाधड़ी वाले एसएमएस और संदिग्ध व्हाट्सऐप संदेशों की रिपोर्ट करने में सक्षम बनाती है। इससे आम नागरिकों की भागीदारी सीधे साइबर अपराध पर नियंत्रण में योगदान देती है।
यह प्रणाली टेलीकॉम संसाधनों के दुरुपयोग जैसे—फर्जी सिम कार्ड, सिप और वोइप सेवाओं के माध्यम से होने वाले धोखाधड़ी—की पहचान करने में विशेष रूप से कारगर सिद्ध हो रही है। चक्षु, ट्रूकॉलर, और एलईए जैसी कई इकाइयाँ मिलकर इस सिस्टम के माध्यम से डिप की ताकत को कई गुना बढ़ा देती हैं। इसके साथ ही, “डिप” एक इन्फॉर्मेशन रिपॉजिटरी के रूप में कार्य करता है, जहां नागरिकों की शिकायतें सुरक्षित रूप से दर्ज होती हैं और उनसे जुड़े डेटा का विश्लेषण कर एजेंसियाँ सटीक कार्रवाई कर सकती हैं।
हालांकि, यह प्लेटफॉर्म आम जनता के लिए खुला नहीं है, लेकिन अधिकृत संस्थाएँ सुरक्षित नेटवर्क के माध्यम से इसे एक्सेस कर सकती हैं, जिससे डेटा की गोपनीयता और संप्रभुता बनी रहती है।
इस पहल का लक्ष्य केवल तकनीकी समाधान देना नहीं है, बल्कि भारत को एक सशक्त साइबर राष्ट्र के रूप में खड़ा करना है। “आज का साइबर सुरक्षा विचार” की यह 60वीं कड़ी एक नई प्रेरणा लेकर आई है—कि नागरिक और संस्थाएँ मिलकर डिप जैसे मंचों के माध्यम से साइबर अपराध को जड़ से खत्म कर सकते हैं।


