Cyber Security India: CBI की बड़ी कार्रवाई के बाद बढ़ी चिंता: देशभर में 8.5 लाख म्यूल बैंक खातों की पहचान, साइबर फ्रॉड की रीढ़ बन चुके ये खाते अब जांच के घेरे में
रिपोर्ट: हेमंत कुमार
देशभर में साइबर अपराधों में हो रही बेतहाशा वृद्धि के बीच एक चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा हाल ही में की गई अखिल भारतीय कार्रवाई में ऐसे 8.5 लाख बैंक खातों की पहचान की गई है जो म्यूल अकाउंट्स के रूप में उपयोग हो रहे थे। ये म्यूल खाते साइबर ठगों के लिए किसी ‘साइलेंट व्हीकल’ की तरह काम करते हैं—जहाँ से वे धोखाधड़ी की रकम को आसानी से ट्रांसफर कर अज्ञात स्थानों तक पहुंचा देते हैं।
म्यूल अकाउंट्स यानी ऐसे बैंक खाते जो अपराधियों को या तो किराए पर दिए जाते हैं या अज्ञानता में साझा किए जाते हैं, आज के साइबर अपराधों के दो मुख्य स्तंभों में शामिल हैं। इनके बिना अधिकांश साइबर धोखाधड़ी की योजनाएं ठप पड़ जाएंगी। दुर्भाग्य से कई बार लोग मामूली लालच में या अनजाने में अपना खाता दूसरों को दे बैठते हैं—और बाद में जब पैसे धोखाधड़ी में इस्तेमाल होते हैं, तो जांच एजेंसियां उन्हीं मासूम खाताधारकों को सबसे पहले निशाने पर लेती हैं।
CBI की इस बड़ी कार्रवाई के बाद बैंकों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के सामने अब एक नई चुनौती है—म्यूल बैंक खातों की पहचान, मॉनिटरिंग और उन्हें समाप्त करने की दिशा में ठोस कदम उठाना। बैंकों को अब KYC (Know Your Customer) और eKYC प्रक्रियाओं को और अधिक कड़े स्तर पर लागू करना होगा। सिर्फ दस्तावेज़ों से नहीं, बल्कि बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण, आधार और सरकारी डेटाबेस से क्रॉस वेरिफिकेशन जैसी तकनीकों को अनिवार्य बनाना होगा।
इसके साथ ही, बैंकिंग लेन-देन पर AI आधारित निगरानी तंत्र को लागू करने की जरूरत है, जो व्यवहार में आने वाली असमानताओं और अचानक हुए बड़े ट्रांजेक्शनों को तुरंत पहचान सके। जियो-टैगिंग और डिवाइस फिंगरप्रिंटिंग जैसी तकनीकों से यह संभव है कि खाता धारक की वास्तविक लोकेशन और लॉगिन डिवाइस की जानकारी के बीच का फासला जांचा जा सके, जिससे संदेहास्पद गतिविधियों पर तत्काल रोक लगे।
साइबर अपराध से लड़ने के लिए एक और जरूरी कदम है—म्यूल नेटवर्क का केंद्रीय डेटाबेस तैयार करना। RBI और FIU-IND जैसे संस्थान मिलकर MuleHunter.ai जैसे प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से ऐसे खातों को चिह्नित कर सकते हैं और इन्हें देशभर के बैंकों के साथ साझा किया जा सकता है ताकि ये खाते फिर से किसी धोखाधड़ी में इस्तेमाल न हो पाएं।
कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए अब जरूरी है कि वे सिर्फ अपराधियों को नहीं, बल्कि उनके मददगारों—जैसे फर्जी खाता खोलने वाले ई-मित्र एजेंटों, बैंकिंग प्रतिनिधियों और दलालों पर भी सख्त कार्रवाई करें। विशेषकर ग्रामीण और सहकारी बैंकों की ब्रांचों में, जहां नियमों में लापरवाही होती है, वहां नियमित ऑडिट कराना और संदिग्ध खातों की रिपोर्टिंग को अनिवार्य बनाना अत्यंत आवश्यक है।
लेकिन कानून और बैंकिंग सिस्टम के अलावा, आम नागरिकों की भूमिका भी कम महत्वपूर्ण नहीं है। यह अत्यंत जरूरी है कि कोई भी व्यक्ति अपने बैंक खाते को किराए पर न दे, चाहे उसे कोई कितना भी आसान पैसा कमाने का लालच क्यों न दे। यदि आपका खाता किसी साइबर अपराध में इस्तेमाल हुआ, तो आप भी मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में फंस सकते हैं—even अगर आपने जानबूझ कर कुछ नहीं किया हो।
अगर कोई व्यक्ति आपसे आपके बैंक खाते का उपयोग करने की मांग करता है या “घर बैठे कमाई” जैसे प्रस्ताव देता है, तो तुरंत NCRP (National Cyber Crime Reporting Portal) या अपने बैंक को इसकी जानकारी दें। आपकी सतर्कता ही आपकी सुरक्षा है।
भारत जैसे डिजिटल रूप से तेजी से बढ़ते देश में, जहां हर व्यक्ति के पास अब मोबाइल बैंकिंग की सुविधा है, वहां साइबर सुरक्षा सिर्फ सरकारी जिम्मेदारी नहीं, हर नागरिक का दायित्व है। आइए, म्यूल खातों को समाप्त करें और साइबर अपराध के इस अदृश्य रास्ते को बंद करें—ताकि डिजिटल भारत वास्तव में सुरक्षित भारत बन सके।


