Cyber Security Alert: साइबर सुरक्षा चेतावनी: अस्पताल अपॉइंटमेंट के नाम पर बढ़ती ऑनलाइन ठगी
रिपोर्ट: हेमंत कुमार
नई दिल्ली। साइबर अपराधियों ने हाल ही में एक नया तरीका अपनाया है, जिसमें मरीजों और उनके परिवारों को उनके स्वास्थ्य संकट का फायदा उठाने के लिए निशाना बनाया जाता है। वरिष्ठ निरीक्षक रमन कुमार सिंह और निरीक्षक विनोद शर्मा ने चेतावनी दी है कि “जब ज़रूरत और Vulnerability मिलती है, तब साइबर अपराधी सबसे ज़्यादा वार करते हैं।” कल्पना करें कि आपके परिवार में कोई गंभीर रूप से बीमार है और आप अस्पताल में अपॉइंटमेंट के लिए बेताबी से खोज कर रहे हैं। इसी बीच, अपराधी आपके भरोसे का फायदा उठाकर नकली APK फाइल या फर्जी QR कोड के माध्यम से आपका डेटा और पैसा चुरा सकते हैं।
साइबर अपराधी अक्सर अस्पताल के स्टाफ का रूप धारण करते हैं या नकली बुकिंग प्लेटफॉर्म बनाते हैं। वे व्हाट्सएप, एसएमएस या सोशल मीडिया के माध्यम से त्वरित अपॉइंटमेंट और छूट का लालच देकर लोगों को जाल में फंसाते हैं। इन जालों में शामिल हैं मालिशियस APK फाइलें जो अत्यधिक अनुमति मांगती हैं, QR कोड स्कैन करने पर सक्रिय होने वाले मैलवेयर, और ओटीपी चुराकर बैंकिंग विवरण पर अनधिकृत लेन-देन। कई पीड़ित तब तक कुछ महसूस नहीं करते जब तक उनका पैसा नहीं चोरी हो जाता।
अक्सर अपनाए जाने वाले तरीके में नकली संपर्क विवरण डालना, असली अस्पताल ऐप्स की नकल करना, डॉक्टर या रिसेप्शनिस्ट का रूप धारण कर अग्रिम भुगतान मांगना, और QR कोड ठगी शामिल है।
हाल ही में NCRP पोर्टल पर दर्ज एक मामले में, एक कैंसर मरीज को फोर्टिस शालीमार बाग, नई दिल्ली में अपॉइंटमेंट के नाम पर ₹1,00,000 की ठगी का सामना करना पड़ा। FIR संख्या 29/23, धारा 420 IPC के तहत दर्ज की गई और तकनीकी जांच के बाद आरोपी को गिरफ्तार कर राशि वापस दिलाई गई। यह मामला तेज़ रिपोर्टिंग और समन्वित जांच की अहमियत को दर्शाता है।
पीड़ितों के लिए सुधारात्मक उपायों में डिवाइस की सफाई, .apk या QR कोड से इंस्टॉल ऐप को तुरंत अनइंस्टॉल करना, कैश क्लियर करना, अनुमतियाँ रद्द करना, तुरंत cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करना या 1930 पर कॉल करना, अस्पताल की जानकारी केवल आधिकारिक स्रोत से सत्यापित करना और अपने बैंकिंग, ईमेल तथा UPI ऐप्स के पासवर्ड बदलना शामिल हैं।
नागरिकों के लिए सतर्कता महत्वपूर्ण है। OTP, CVV या UPI PIN किसी को न दें, अनजाने लिंक पर क्लिक न करें और केवल विश्वसनीय प्लेटफॉर्म जैसे आरोग्य सेतु, ई-संजीवनी या राज्य स्वास्थ्य ऐप्स का उपयोग करें। अस्पताल और कानून प्रवर्तन संस्थानों को डिजिटल और भौतिक प्लेटफॉर्म पर सत्यापित संपर्क जानकारी प्रकाशित करनी चाहिए, 2FA और CAPTCHA के साथ सुरक्षित बुकिंग सिस्टम लागू करना चाहिए, और क्षेत्रीय भाषाओं में जागरूकता अभियान चलाना चाहिए।
जागरूक रहना और सावधानी अपनाना ही सबसे मजबूत सुरक्षा कवच है। “Urgency को Vulnerability न बनने दें। सतर्क रहें। सुरक्षित रहें।”



