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धार्मिक प्रतीकों की रक्षा हिंदुओं का प्रथम कर्तव्य – परमाराध्य अविमुक्तेश्वरानन्द जी महाराज

परमाराध्य अविमुक्तेश्वरानन्द जी महाराज ने परमधर्मसंसद में धार्मिक प्रतीकों की रक्षा को हिंदुओं का प्रथम कर्तव्य बताया। स्वस्तिक और तिलक को सर्वमान्य प्रतीक मानते हुए इनके संरक्षण और प्रचार पर जोर दिया।

धार्मिक प्रतीकों की रक्षा हिंदुओं का परम कर्तव्य

सं. २०८१ माघ कृष्ण अष्टमी तदनुसार दिनांक 22 जनवरी 2025 ई: परमाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानन्द: सरस्वती १००८ ने परमधर्मसंसद में हिंदू धार्मिक प्रतीकों की पहचान और सुरक्षा पर जोर देते हुए कहा कि इन प्रतीकों की रक्षा करना प्रत्येक हिंदू का प्रथम कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि प्रतीकों का व्यवहार ही उनका संरक्षण है।

परमाराध्य अविमुक्तेश्वरानन्द
धार्मिक प्रतीकों की रक्षा हिंदुओं का प्रथम कर्तव्य -परमाराध्य अविमुक्तेश्वरानन्द जी महाराज

धार्मिक प्रतीकों का महत्व और संरक्षण

शंकराचार्य जी ने धार्मिक प्रतीकों को पहचानने और उनके महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ये प्रतीक हिन्दू धर्म की पहचान हैं। इनमें ॐकार, स्वस्तिक, त्रिकोण, गाय, वृषभ, कमल, बिल्व पत्र, शिवलिंग, नटराज, दीपक, ध्वज, शिखर, सूर्य, चंद्र आदि शामिल हैं।
उन्होंने कहा, “स्वस्तिक और स्वस्ति तिलक हिन्दुओं का सर्वमान्य प्रतीक हैं। हर हिन्दू को अपने माथे पर तिलक धारण करना चाहिए।”

परमधर्मसंसद की मुख्य बातें

  • सदन की शुरुआत जयोद्घोष से हुई।
  • प्रदीप भारद्वाज जी ने विषय विशेषज्ञ के रूप में प्रतीकों के महत्व पर स्लाइड शो प्रस्तुत किया।
  • अनुसुईया प्रसाद उनियाल, वनदेवी, राजू शुक्ला और अन्य गणमान्य अतिथियों ने चर्चा में भाग लिया।
  • श्री देवेंद्र पांडेय जी ने धर्माधीश के रूप में संसद का संचालन किया।
परमाराध्य अविमुक्तेश्वरानन्द
धार्मिक प्रतीकों की रक्षा हिंदुओं का प्रथम कर्तव्य -परमाराध्य अविमुक्तेश्वरानन्द जी महाराज

विशिष्ट अतिथियों का सम्मान

परमधर्मसंसद में महामंडलेश्वर नारायणानन्द गिरि जी और यदि नरसिंहानन्द जी महाराज विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। परमाराध्य ने उनका सम्मान करते हुए उन्हें सम्मान पत्र प्रदान किया।

शंकराचार्य जी का धर्मादेश

परमाराध्य ने कहा कि परमधर्मसंसद की ओर से धार्मिक प्रतीकों पर आधारित एक पुस्तिका तैयार की जाएगी और इसे हर हिंदू परिवार तक पहुंचाया जाएगा। सदन ने इस प्रस्ताव को “हर-हर महादेव” के जयघोष के साथ पारित किया।

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