NDMC: उपाध्यक्ष कुलजीत सिंह चहल का सूरत दौरा: जल संरक्षण और स्मार्ट सिटी प्रबंधन के गुजरात मॉडल को अपनाने की दिशा में बड़ा कदम

NDMC उपाध्यक्ष कुलजीत सिंह चहल का सूरत दौरा: जल संरक्षण और स्मार्ट सिटी प्रबंधन के गुजरात मॉडल को अपनाने की दिशा में बड़ा कदम
रिपोर्ट: हेमंत कुमार
नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (NDMC) के उपाध्यक्ष श्री कुलजीत सिंह चहल ने शुक्रवार को गुजरात के सूरत शहर का दौरा किया, जिसका उद्देश्य वर्षा जल संचयन, जल संरक्षण, शहरी बाढ़ प्रबंधन और स्मार्ट सिटी प्रशासन के क्षेत्र में अपनाई गई सर्वोत्तम प्रणालियों का प्रत्यक्ष अवलोकन करना था। इस अध्ययन दौरे में परिषद के OSD (राजस्व प्रबंधन) श्री सी. अरविंद और मुख्य अभियंता श्री एच.पी. सिंह भी उनके साथ शामिल थे।
श्री चहल ने कहा कि यह दौरा माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व और माननीय जल शक्ति मंत्री श्री सी.आर. पाटिल जी के मार्गदर्शन में गुजरात में लागू किए गए सफल मॉडल्स को समझने और NDMC क्षेत्र में उन्हें क्रियान्वित करने की दिशा में एक अहम कदम है। उन्होंने जोर दिया कि NDMC “विकसित भारत – विकसित NDMC” के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए सूरत के तकनीकी और पर्यावरणीय नवाचारों को आत्मसात करेगा।
NDMC क्षेत्र में जल संचयन के लिए बड़े कदम
श्री चहल ने जानकारी दी कि NDMC ने अपने क्षेत्र में 272 पुराने वर्षा जल संचयन पिट्स का पुनर्विकास शुरू कर दिया है और 101 नए पिट्स के निर्माण की योजना पर काम चल रहा है। इसका उद्देश्य मानसून के दौरान शून्य जलभराव और भूजल स्तर में वृद्धि सुनिश्चित करना है। यह पहल प्रधानमंत्री जी की पर्यावरण संरक्षण पर आधारित सोच के अनुरूप है।
उन्होंने यह भी बताया कि 18 मार्च 2025 को जल शक्ति मंत्रालय में आयोजित एक उच्च स्तरीय बैठक में NDMC द्वारा दिल्ली के ड्रेनेज सिस्टम में सुधार और जलभराव की समस्या से निपटने के लिए एक विस्तृत प्रेजेंटेशन दिया गया था। उसी बैठक के बाद यह सूरत अध्ययन दौरा निर्धारित किया गया।
ICCC मॉडल: तकनीक आधारित शहरी प्रबंधन की मिसाल
सूरत दौरे के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने सूरत के अत्याधुनिक Integrated Command and Control Centre (ICCC) का दौरा किया, जहाँ उन्हें हाइड्रोलिक, ड्रेनेज और टर्शरी ट्रीटमेंट विभाग के इंजीनियरों द्वारा एक विशेष प्रेजेंटेशन दिया गया। श्री चहल ने इस सेंटर की सराहना करते हुए कहा कि यह स्मार्ट सिटी योजना और सतत विकास का उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने विशेष रूप से Reduce, Reuse, Recycle (3R) सिद्धांतों की प्रशंसा की, जिनका सूरत ने अपने जल प्रबंधन और शहरी विकास में प्रभावशाली रूप से प्रयोग किया है।
श्री चहल ने NDMC के वर्तमान ICCC की सीमाओं को रेखांकित करते हुए सूरत मॉडल की कई विशेषताओं को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि चूंकि नई दिल्ली देश की राजधानी के केंद्र में स्थित है, जहाँ भारी जनसंख्या और रोज़ाना लाखों की संख्या में आगंतुक आते हैं, इसलिए NDMC का कमांड सेंटर आपात स्थितियों में त्वरित प्रतिक्रिया देने वाला और अत्याधुनिक तकनीक से लैस होना चाहिए।
उन्होंने NDMC की ICCC प्रणाली को अपग्रेड करने के लिए सूरत मॉडल के आधार पर एक विस्तृत प्रस्ताव तैयार करने की बात कही। साथ ही ट्रैफिक पुलिस, आपदा प्रबंधन इकाइयों और अन्य विभागों को ICCC के साथ जोड़ने की भी आवश्यकता जताई, ताकि एक एकीकृत और उत्तरदायी प्रशासनिक तंत्र का निर्माण किया जा सके।
जल संरक्षण के नवाचारों की प्रत्यक्ष जानकारी
प्रतिनिधिमंडल ने बामरोली स्थित Tertiary Treatment Plant, Bio-Diversity Park, G.D. Goenka Canal Corridor और Flood Protection Wall जैसी परियोजनाओं का भी दौरा किया। श्री चहल ने बताया कि इन सभी स्थानों पर जल संरक्षण, बाढ़ नियंत्रण और पर्यावरणीय सुधार के अभिनव और प्रभावशाली मॉडल्स को साकार रूप में देखा जा सकता है। विशेष रूप से बायोडायवर्सिटी पार्क, जिसे पहले कचरे का डंपिंग ग्राउंड माना जाता था, अब Smart City Mission के तहत एक हरे-भरे सार्वजनिक स्थल में बदल चुका है – जो Waste to Wealth की एक बेहतरीन मिसाल है।
श्री चहल ने कहा, “सूरत ने नवाचार, स्थिरता और प्रशासनिक दक्षता का जो संतुलन प्रस्तुत किया है, वह न केवल सराहनीय है, बल्कि अन्य शहरी निकायों के लिए भी एक आदर्श मॉडल के रूप में स्थापित होता है। NDMC निश्चित रूप से यहां से सीखी गई सर्वोत्तम तकनीकों और कार्यप्रणालियों को अपने कार्य क्षेत्र में लागू करेगा।”
NDMC को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में योजना
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि NDMC को बाहरी जल स्रोतों पर निर्भर रहने के बजाय अपने आंतरिक जल संसाधनों का अधिकतम पुनर्चक्रण और पुनः उपयोग सुनिश्चित करना चाहिए। साथ ही, NDMC को सौर ऊर्जा जैसी वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों को भी अपनाने की दिशा में ठोस पहल करनी चाहिए।
श्री चहल ने अंत में कहा, “NDMC पूरी तरह से तैयार है कि सूरत में देखे गए सफल मॉडलों को अपनाकर नई दिल्ली को Water Secure और Waterlogging Free शहर बनाने की दिशा में ठोस कार्यवाही की जाए। सूरत यात्रा न केवल जानकारीवर्धक रही, बल्कि यह प्रत्येक उस नगर निकाय के लिए एक प्रेरणा है जो तकनीक, पर्यावरण और कुशल प्रशासन के समन्वय से शहरों का टिकाऊ विकास सुनिश्चित करना चाहता है।”
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