आउटर नॉर्थ जिले की पुलिस ने बुधवार रात करीब 39 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। इन ठिकानों पर कार्रवाई का नेतृत्व करीब 40 टीमों ने किया। छापों में पुलिस को 50 लाख रुपये नकद, लगभग सवा किलो सोना, एक बुलेटप्रूफ स्कॉर्पियो, चार कट्टे और कई जिंदा कारतूस मिले। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह कार्रवाई राजधानी और हरियाणा में सक्रिय बड़े गिरोहों की कमर तोड़ने के मकसद से की गई है।
जिन गिरोहों पर यह कार्रवाई केंद्रित रही, उनमें तिल्लू ताजपुरिया गैंग, नीरज बवाना-राजेश बवाना गैंग, जितेंद्र उर्फ गोगी गैंग और काला जठेड़ी गैंग शामिल हैं। पुलिस का मानना है कि इन आपराधिक गिरोहों का नेटवर्क लंबे समय से दिल्ली-एनसीआर और हरियाणा में फैला हुआ है और ये गिरोह हथियारों, फिरौती और अवैध वसूली के जरिए अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखते हैं।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि छापेमारी का असली मकसद इन गिरोहों की “फीडिंग चैन” यानी फाइनेंस और हथियारों की सप्लाई लाइनों को तोड़ना था। अधिकारियों ने कहा कि जब तक इन गैंगस्टरों की आर्थिक ताकत और हथियारों की उपलब्धता पर चोट नहीं की जाएगी, तब तक वे जेल से भी अपने नेटवर्क को चालू रख सकते हैं।
गिरफ्तार प्रेम सिंह की भूमिका को लेकर पुलिस ने कहा कि वह नीरज बवाना गिरोह के लिए हथियारों और पैसों के प्रबंधन में सक्रिय था। छापेमारी में मिली बुलेटप्रूफ स्कॉर्पियो और बड़ी मात्रा में सोना-पैसा इस बात की पुष्टि करता है कि गिरोह के पास संसाधनों की कोई कमी नहीं थी।
पुलिस का कहना है कि इस अभियान के बाद कई एफआईआर दर्ज की गई हैं और आगे की जांच जारी है। बरामद नकदी, सोना और हथियारों को जब्त कर लिया गया है और इनके स्रोत का पता लगाया जा रहा है। दिल्ली पुलिस ने साफ किया है कि राजधानी में संगठित अपराध को खत्म करना उसकी प्राथमिकता है और इसी दिशा में यह बड़ी कार्रवाई की गई है।
यह छापेमारी एक मजबूत संदेश है कि राजधानी में अपराधियों को अब अपनी गतिविधियों के लिए कोई सुरक्षित ठिकाना नहीं मिलेगा। पुलिस ने दावा किया है कि आने वाले समय में इस तरह की और भी कार्रवाइयां होंगी ताकि संगठित अपराध की जड़ें पूरी तरह उखाड़ दी जाएं।


