Nepal Social Media Ban: नेपाल के सोशल मीडिया संकट से सबक, भारत को चाहिए अपना स्वदेशी डिजिटल इकोसिस्टम
रिपोर्ट: हेमंत कुमार
नई दिल्ली: नेपाल में हाल ही में लगाए गए सोशल मीडिया प्रतिबंधों ने पूरे दक्षिण एशिया को चौंका दिया है और भारत के लिए एक अहम सबक भी छोड़ दिया है। यह संकट स्पष्ट करता है कि भारत अब केवल विदेशी प्लेटफॉर्म पर निर्भर नहीं रह सकता। अभिव्यक्ति, जनसंपर्क और शासन के लिए भारत को तुरंत एक स्वदेशी, सुरक्षित और बहुभाषीय डिजिटल इकोसिस्टम तैयार करने की आवश्यकता है।
डिजिटल विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के विशाल पैमाने, विविधता और भू-राजनीतिक संवेदनशीलताओं को देखते हुए एक चरणबद्ध, व्यावहारिक रोडमैप बनाना होगा।
रणनीतिक आधार: डिजिटल संप्रभुता की ओर
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के तहत “डिजिटल संप्रभुता मिशन” शुरू करने की सिफारिश की गई है। इसमें डेटा स्थानीयकरण, नैतिक AI और बहुभाषीय पहुंच को प्राथमिकता दी जाएगी। सरकार, मीडिया और नागरिक संवाद में विदेशी प्लेटफॉर्म पर निर्भरता का ऑडिट किया जाएगा और कमजोरियों की पहचान होगी। साथ ही “स्वदेशी टेक इनोवेशन फंड” बनाकर स्टार्टअप्स को टैक्स छूट और क्लाउड क्रेडिट जैसे प्रोत्साहन दिए जा सकते हैं।
प्लेटफॉर्म विकास: भारतीय विकल्प की ज़रूरत
विभिन्न प्रकार के प्लेटफॉर्म के लिए स्वदेशी विकल्प पहले से मौजूद हैं, जिन्हें और सशक्त बनाने की योजना है।
- मैसेजिंग ऐप: Sandes, BlueEra जैसे ऐप्स, जिनमें एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन और सरकारी स्तर की सुरक्षा हो।
- माइक्रोब्लॉगिंग: Lok Samvaad, जिसमें क्षेत्रीय भाषाओं का व्यापक समर्थन हो।
- वीडियो शेयरिंग: Chingari और Koo जैसे मंच, जहां क्रिएटर मोनेटाइजेशन भारत-केंद्रित कंटेंट पर केंद्रित हो।
- सुपर-ऐप्स: i.AI और BlueEra, जिनमें सोशल मीडिया, ई-कॉमर्स, नौकरियाँ और सुरक्षित मैसेजिंग का एकीकृत अनुभव हो।
बहुभाषीय और सार्वजनिक क्षेत्र में उपयोग
हिंदी, तमिल, बंगाली, भोजपुरी और आदिवासी भाषाओं के साथ-साथ AI आधारित अनुवाद और वॉयस इंटरफेस से अधिक नागरिकों को जोड़ने की योजना है। MyGov और डिजिटल इंडिया से इन प्लेटफॉर्म्स को जोड़ा जा सकता है ताकि नागरिक सेवाओं और पुलिस आउटरीच में इनका सीधा उपयोग हो।
इकोसिस्टम विस्तार और सुरक्षा
स्वदेशी इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए “डिजिटल स्वदेशी फैलोशिप” की योजना बनाई जा सकती है, जिससे शिक्षकों, इन्फ्लुएंसर्स और क्षेत्रीय क्रिएटर्स को प्रोत्साहन मिलेगा। साथ ही, एक राष्ट्रीय डिजिटल नैतिकता बोर्ड गठित होगा, जो रियल-टाइम मॉडरेशन और गलत सूचना अलर्ट का ढांचा तैयार करेगा।
वैश्विक रणनीति और आपातकालीन योजना
भारत के स्वदेशी ऐप्स को BIMSTEC और SAARC देशों में डिजिटल निर्यात के रूप में पेश किया जा सकता है। साथ ही, आपात स्थितियों में 48 घंटे के भीतर विदेशी प्लेटफॉर्म्स के विकल्प सक्रिय करने की रूपरेखा भी तैयार होगी। इंटरनेट बंदी या आपदाओं के दौरान मेश-आधारित मैसेजिंग और ऑफलाइन सेवाएं नागरिकों को राहत दे सकती हैं।


