Crypto Scam India: क्रिप्टो एक्सचेंज के जरिए हो रही ‘फंड फ्लिपिंग’ भारत की साइबर सुरक्षा के लिए बना गंभीर खतरा, Southeast Asia से जुड़े हैं गहरे तार
रिपोर्ट: हेमंत कुमार
आज के दौर में डिजिटल वित्तीय धोखाधड़ी का एक नया और बेहद खतरनाक रूप सामने आया है – क्रिप्टो एक्सचेंजेज़ के ज़रिए ‘फंड फ्लिपिंग’। यह तकनीक, जिसमें धोखाधड़ी से कमाए गए पैसों को बार-बार घुमाकर या छुपाकर सफेद बनाने की कोशिश की जाती है, अब राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक पारदर्शिता दोनों के लिए बड़ी चुनौती बन चुकी है।
विशेष रूप से Southeast Asia – यानी म्यांमार, कंबोडिया और लाओस – से संचालित हो रहे ट्रांसनेशनल फाइनेंशियल फ्रॉड नेटवर्क इस खतरे को और भी बढ़ा रहे हैं। इन देशों में स्थित “scam compounds” को संगठित अपराध सिंडिकेट्स चला रहे हैं, जो न केवल साइबर धोखाधड़ी में लिप्त हैं बल्कि human trafficking जैसी जघन्य गतिविधियों से भी जुड़े हैं। ये नेटवर्क defrauded राशि को तेजी से घुमा देते हैं, जिससे उसे ट्रैक करना और कानूनी प्रक्रिया के तहत फ्रीज़ करना बेहद कठिन हो जाता है।
इस खतरे का मुकाबला करने के लिए भारत में National Cyber Crime Portal की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिसे अब समय की मांग के अनुसार और अधिक सशक्त और तकनीकी रूप से सक्षम बनाने की आवश्यकता है। इसके लिए कई स्तरों पर व्यापक और ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।
सरकार को सबसे पहले Travel Rule को सभी Virtual Asset Service Providers (VASPs) के लिए अनिवार्य करना चाहिए। FATF द्वारा तय इस नियम के तहत, जब भी कोई high-value क्रिप्टो ट्रांज़ैक्शन होता है, तो ट्रांजेक्शन करने वाले और पाने वाले दोनों पक्षों की जानकारी साझा की जानी चाहिए। इससे fund flow की पारदर्शिता बढ़ेगी और मनी लॉन्ड्रिंग पर रोक लगाई जा सकेगी।
साथ ही, उन सभी क्रिप्टो एक्सचेंजेज़ को ब्लैकलिस्ट किया जाना चाहिए जो high-risk jurisdictions में operate करते हैं या जिन पर पहले धोखाधड़ी से जुड़े आरोप लग चुके हैं। इसी तरह, Crypto ATMs की भी गहन निगरानी और विनियमन की जरूरत है, क्योंकि ये अक्सर anonymity का फायदा उठाकर fund flipping में इस्तेमाल होते हैं।
तकनीकी उपायों की बात करें तो भारत को Chainalysis, Elliptic जैसे अत्याधुनिक Blockchain Analytics Tools को अपनाना चाहिए। ये टूल्स blockchain पर हो रहे ट्रांजैक्शनों की गहराई से निगरानी कर सकते हैं, संदिग्ध वॉलेट क्लस्टर्स को चिह्नित कर सकते हैं और layering या laundering जैसे पैटर्न को उजागर कर सकते हैं।
इसके साथ ही, AI आधारित transaction monitoring systems को लागू किया जाना चाहिए, जो smurfing, mixers और cross-chain fund transfers जैसी रणनीतियों को पहचान सके। इसके लिए fraud से जुड़े वॉलेट एड्रेस की एक dynamic blacklist भी बनानी चाहिए, जिसे लगातार अपडेट किया जाए।
इन प्रयासों को सफल बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग भी उतना ही ज़रूरी है। भारत को ASEAN CERT, INTERPOL और UNODC जैसे संगठनों के साथ इंटेलिजेंस शेयरिंग करनी चाहिए, ताकि इन scam hubs की वास्तविक पहचान और उनका नेटवर्क पूरी तरह उजागर किया जा सके। साथ ही, एक विशेष साइबर फाइनेंशियल क्राइम यूनिट की स्थापना की जानी चाहिए, जिसमें multilingual और crypto forensic विशेषज्ञ शामिल हों।
इसके अलावा, नागरिकों को इन खतरों से अवगत कराना भी अनिवार्य है। सरकार को bilingual फॉर्मेट्स में Awareness Drives चलानी चाहिए, जिनमें Pig Butchering Scams, Fake Crypto Jobs, और Investment Frauds के बारे में जानकारी दी जाए। साथ ही, National Cyber Crime Portal को इस तरह अपग्रेड किया जाए कि कोई भी नागरिक तुरंत किसी संदिग्ध ट्रांज़ैक्शन या वॉलेट की रिपोर्ट कर सके और जरूरी कार्रवाई तुरंत हो।
अंततः, साइबर सुरक्षा व्यक्तिगत जागरूकता से शुरू होती है। किसी भी ऑनलाइन व्यक्ति के कहने पर पैसे का निवेश न करें, खासकर जब उनसे कभी आमने-सामने मुलाकात न हुई हो। वीडियो कॉल या प्रामाणिक सोशल मीडिया प्रोफाइल के ज़रिए पहचान की पुष्टि करें। निवेश से पहले हमेशा यह जांचें कि संबंधित प्लेटफॉर्म SEBI, RBI या किसी अंतरराष्ट्रीय नियामक संस्था से मान्यता प्राप्त है या नहीं।
यदि आप किसी धोखाधड़ी का शिकार हुए हैं या कोई संदिग्ध गतिविधि देखते हैं, तो तुरंत National Cyber Crime Portal या स्थानीय पुलिस थाने में इसकी रिपोर्ट करें।
भारत जैसे विशाल और तेजी से डिजिटल होते देश में साइबर धोखाधड़ी की यह नई लहर एक गंभीर चुनौती है। लेकिन नियमन, तकनीक, सहयोग और जागरूकता के माध्यम से इस पर प्रभावी नियंत्रण संभव है।


