Why Kamala Harris lost : अमेरिका में संपन्न हुए राष्ट्रपति चुनाव (US presidential election) पर न सिर्फ़ भारत बल्कि विश्व के तमाम देशों की नज़रें टिकी हुई थी। निश्चित तौर पर जहां एक धड़ा डेमोक्रेटिक पार्टी (Democratic Party) की उम्मीदवार कमला हैरिस (Kamala Harris) की जीत की दुआ कर रहा था, वही एक धड़ा रिपब्लिकन उम्मीदवार (Republican Party) डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की जीत का। लेकिन चुनाव परिणामों ने जहां ट्रम्प के समर्थकों को खुश होने का मौक़ा दिया है, वही कमला हैरिस के समर्थक इस चुनावी नतीजे से मायूस हैं।
डोनाल्ड ट्रंप की जीत इसीलिए भी ख़ास हैं क्योंकि वैश्विक स्तर पर जिस तरह का ट्रेंड चल रहा था, उसमें कमला हैरिस मज़बूत स्थिति में नज़र आ रही थी, लेकिन जब चुनाव परिणाम (US Election Result 2024) आए तो ट्रम्प ने सबको चौंका दिया। अब ऐसे में उन वजहों की तलाश की जा रही है, जिसकी वजह से कमला हैरिस को चुनाव में हार मिली।
बढ़ती महंगाई : अमेरिका में संपन्न हुए राष्ट्रपति चुनाव में कमला की हार की कई वजहें गिनाई जा रही है, लेकिन जो सबसे प्रमुख वजह सामने आ रही है वो है बढ़ती महंगाई (US Inflation Rate)। रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी लोग बढ़ती महंगाई से परेशान हैं। खासकर कामकाजी वर्ग (Working People) बढ़ती महंगाई और अपने खर्चों से काफी परेशान है। लोगों को अपने परिवार का पालन पोषण करने और बच्चों की पढ़ाई में काफी आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। लोगों की खरीददारी की क्षमता कमजोर हुई है और लोगों को लगा कि इसकी वजह बाइडन-कमला हैरिस सरकार है। डोनाल्ड ट्रंप ने लोगों की परेशानी समझी और लोगों को यह यकीन दिलाने की कोशिश की कि वे बदलाव ला सकते हैं, जिसकी वजह से लोगों ने उनका समर्थन किया।
रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर नाराज़गी : कोरोना (COVID-19 pandemic) के बाद देश में आर्थिक हालात थोड़े खराब हुए। लोग बढ़ती महंगाई, आपूर्ति की समस्या से परेशान रहे। लोगों ने देश में बढ़ती अवैध अप्रवासियों (Illegal immigration) की समस्या के लिए भी बाइडन-हैरिस प्रशासन को जिम्मेदार माना। साथ ही यूक्रेन व इस्राइल युद्ध से भी लोग नाराज थे। डोनाल्ड ट्रंप ने इस समस्याओं को जमकर जनता के सामने उछाला और लोगों को लगा कि ट्रंप इन समस्याओं से छुटकारा दिला सकते हैं।
बाइडन को लेकर नाराज़गी : रिपोर्ट की मानें तो डेमोक्रेट पार्टी के नेताओं को बाइडन (Joe Biden) का प्रदर्शन नाकाफी लग रहा है। कहा जा रहा है कि मानसिक रूप से कमजोर पड़ने के बावजूद जिस प्रकार से बाइडन चुनाव मैदान में डटे रहे उससे ट्रंप को मजबूत होने का मौका मिला। बाइडन ने जब अपनी स्थिति कमजोर मानते हुए मैदान छोड़ा तब तक बहुत देर हो चुकी थी और पार्टी प्रत्याशी बनीं हैरिस को चुनाव के लिए पर्याप्त समय नहीं मिला। विदित हो कि जून में ट्रंप के साथ सीधी बहस में बाइडन उनसे हल्के पड़े थे। इसका डेमोक्रेटिक पार्टी और मतदाताओं के बीच गलत संदेश गया था।


