FRI: भारत के लिए एक साइबर सुरक्षा ढाल, डिजिटल फ्रॉड के खिलाफ नई रणनीति
रिपोर्ट: हेमंत कुमार
नई दिल्ली, जून 2025 — भारत सरकार द्वारा साइबर फ्रॉड मुक्त डिजिटल राष्ट्र की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए एक अत्याधुनिक उपकरण Financial Fraud Risk Indicator (FRI) लॉन्च किया गया है। इस पहल का उद्देश्य नागरिकों, बैंकों और वित्तीय संस्थानों को डिजिटल लेन-देन में होने वाले फ्रॉड से पहले ही सतर्क करना और धोखाधड़ी की संभावनाओं को जड़ से समाप्त करना है।
FRI क्या है?
FRI एक जोखिम मूल्यांकन प्रणाली (risk-based metric) है, जो मोबाइल नंबरों को उनके व्यवहार और प्राप्त सूचनाओं के आधार पर तीन श्रेणियों में विभाजित करता है — मध्यम जोखिम, उच्च जोखिम और अति उच्च जोखिम। यह वर्गीकरण तीन प्रमुख स्रोतों की इंटेलिजेंस पर आधारित होता है:
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राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP), जो I4C के अंतर्गत कार्य करता है
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DoT का ‘चक्षु’ प्लेटफॉर्म, जो संदिग्ध संचार गतिविधियों पर नजर रखता है
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बैंक और अन्य वित्तीय संस्थानों से प्राप्त डेटा, जो संदिग्ध लेन-देन या धोखाधड़ी से जुड़े होते हैं
FRI कैसे काम करता है?
FRI को डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (DIP) के साथ जोड़ा गया है। यह सिस्टम बैंकों और UPI आधारित पेमेंट प्लेटफॉर्म्स को real-time alert देता है, जब कोई संदिग्ध या पहले से चिन्हित मोबाइल नंबर किसी ट्रांजैक्शन में शामिल होता है। इससे बैंक तुरंत:
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संदिग्ध लेन-देन को रोक सकते हैं
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उपभोक्ताओं को चेतावनी दे सकते हैं
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अति जोखिम वाले लेन-देन में देरी करके उसकी समीक्षा कर सकते हैं
इसके अतिरिक्त, यह प्रणाली DoT और बैंकों के बीच API आधारित ऑटोमेटेड डेटा एक्सचेंज को भी सक्षम बनाती है, जिससे धोखाधड़ी की पहचान करने वाले एल्गोरिद्म को लगातार अद्यतन किया जा सके।
यह क्यों महत्वपूर्ण है?
भारत में UPI आज सबसे लोकप्रिय डिजिटल भुगतान प्रणाली बन चुकी है, जिससे हर दिन करोड़ों ट्रांजैक्शन होते हैं। ऐसे में एक मजबूत सुरक्षा प्रणाली की जरूरत थी जो संभावित फ्रॉड से पहले ही बचाव कर सके।
FRI न केवल एक प्रि-ट्रांजैक्शन वैलिडेशन लेयर जोड़ता है, बल्कि यह बैंकों को संभावित खतरे की पहचान करने और समय रहते कार्रवाई करने में सक्षम बनाता है।
यह प्रणाली अब तक HDFC Bank, ICICI Bank, PhonePe और Paytm जैसे कई बड़े संस्थानों द्वारा अपनाई जा चुकी है, जो इसकी उपयोगिता और विश्वसनीयता को प्रमाणित करता है।
जन-जागरूकता पहल: “आज का साइबर सुरक्षा विचार”
इस तकनीकी पहल के साथ सरकार ने एक जागरूकता अभियान “आज का साइबर सुरक्षा विचार” भी शुरू किया है। इसका उद्देश्य आम नागरिकों को सरल भाषा में यह समझाना है कि सतर्कता और तकनीक का मेल हमें कैसे साइबर अपराधों से बचा सकता है।
हर नागरिक का दायित्व है कि वह स्वयं सतर्क रहे, संदिग्ध मैसेज, कॉल या लिंक से बचे, और किसी भी धोखाधड़ी की स्थिति में तुरंत संबंधित पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराए।
क्योंकि “आपकी सजगता ही आपकी सबसे बड़ी ढाल है।”


