Cyber crime India: आज का साइबर सुरक्षा विचार — NPCI का बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण: फायदे, चुनौतियाँ और जोखिम
रिपोर्ट: हेमंत कुमार
NPCI द्वारा 8 अक्टूबर से डिजिटल भुगतान में बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण लागू करना भारत के भुगतान सुरक्षा परिदृश्य में एक बड़ा परिवर्तन है। बायोमेट्रिक विधियाँ (फिंगरप्रिंट, फेस-रिकग्निशन) OTP/पासवर्ड की तुलना में अधिक सुरक्षित और प्रयोग में सहज हैं, खासकर उन इलाकों में जहाँ मोबाइल नेटवर्क कमजोर होता है। यह प्रणाली उपयोगकर्ताओं को पासवर्ड याद रखने या OTP के इंतजार से मुक्त कर सकती है और आधार-लिंक्ड बायोमेट्रिक्स के जरिए ग्रामीण व अर्ध-शहरी क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन बढ़ाने में मदद करेगी। व्यापारी स्थानों पर बायोमेट्रिक सत्यापन पहचान चोरी और अनाधिकृत लेनदेन को स्रोत पर रोकने में उपयोगी साबित हो सकता है। लेकिन इसके साथ कई गंभीर चुनौतियाँ भी जुड़ी हैं।
बायोमेट्रिक डेटा एक बार लीक हो गया तो उसे बदला नहीं जा सकता, जिससे दीर्घकालिक पहचान जोखिम उत्पन्न होते हैं। बायोमेट्रिक समाधान हार्डवेयर पर निर्भर हैं; जिनके पास बायोमेट्रिक-सक्षम डिवाइस या POS नहीं है वे पीछे रह सकते हैं। सेंसर की गुणवत्ता, त्वचा की स्थिति या उम्र के कारण गलत-पॉज़िटिव/नकारात्मक मिलान हो सकता है, जिससे लेन-देन फेल होने के कारण उपयोगकर्ता असंतुष्ट हो सकते हैं।
गोपनीयता और केंद्रीकृत डेटा स्टोरेज संबंधी चिंताएँ, तथा कम साक्षरता वाले इलाकों में जागरूकता की कमी भी बड़ी बाधाएँ हैं। साइबर अपराधी भी इस नई प्रणाली को भेदने के लिए कई रणनीतियाँ अपना सकते हैं — स्पूफिंग अटैक (सिलिकॉन मोल्ड, हाइ-रेज़ फोटो), रीप्ले अटैक (ट्रांज़िट में डेटा कैप्चर कर रिक्रिएट करना), बायोमेट्रिक डिवाइस पर मैलवेयर, इनसाइडर थ्रेट्स और सोशल इंजीनियरिंग के जरिये उपयोगकर्ता को नकली डिवाइस पर स्कैन कराना। सबसे बड़ा खतरा डेटाबेस ब्रिच का है—
यदि किसी केंद्रीकृत बायोमेट्रिक रिपॉजिटरी पर सेंध लगी तो व्यापक पहचान दुरुपयोग हो सकता है। इसलिए यह आवश्यक है कि बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण लागू करते हुए मजबूत एन्क्रिप्शन, लाइवनेस डिटेक्शन, डिवाइस-लेवल सिक्योरिटी, मल्टी-फैक्टर बैकअप विकल्प और न्यूनतम-डेटा संग्रह नीतियाँ अपनाई जाएँ। उपयोगकर्ता और संस्थानों दोनों को जागरूक रहना होगा: फर्जी संदेश/लिंक पर ध्यान न दें, केवल आधिकारिक ऐप/डिवाइस पर ही स्कैन करें, और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत रिपोर्ट करें। धोखाधड़ी की रिपोर्ट cybercrime.gov.in पर करें या 1930 पर कॉल करें। जागरूकता ही पहली फायरवॉल है —
बायोमेट्रिक सुरक्षा अपनाने से पहले उसके सीमाओं और सुरक्षा उपायों को समझें ताकि यह सुविधा आपके लिए सुरक्षा का स्रोत बने, जोखिम का नहीं।


